सुबोध कुमार नंदन की रिपोर्ट
पटना : कोरोना वायरस के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा है. कपड़ा बाजार में भी पिछले तीन सप्ताह से थोक से लेकर रिटेल कारोबार तक बिल्कुल ठप हैं. कारोबारियों की मानें, तो लगभग 9 हजार करोड़ रुपये का नुकसान अब तक हो चुका है. कारोबार धड़ाम होने से कारोबारियों की चिंता बढ़ गयी है. दूसरी ओर लगन की वजह से इस समय कपड़ा व्यवसाय अपने चरम पर होता है, जो बुरी तरह धराशायी है. कारोबारियों का कहना है कि कपड़ा कारोबार पर पहले से ही मंदी छायी हुई थी. मगर, कोरोना वायरस ने बाजार को पूरी तरह ठप कर दिया है.
राजधानी पटना कपड़े की प्रदेश की प्रमुख मंडी है. यहां शादी-ब्याह के समय में पूरे प्रदेश से ग्राहक कपड़े की खरीदारी के लिए आते हैं. मिली जानकारी के अनुसार पटना जिले में थोक, खुदरा एवं रेडिमेड कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी लगभग 10 हजार दुकानें हैं. इनमें लगभग 1200 थोक कारोबारी हैं. इसके अलावा 150 अधिक बड़े शोरूम और शॉपिंग-मॉल हैं. इनसे करीब डेढ़ लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. जाहिर है अभी की विषम परिस्थिति में इनसे होने वाला 30 करोड़ से अधिक का दैनिक कारोबार बिल्कुल ठप पड़ा है.
कोरोने के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिये देश में 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के कारण चारों तरफ सन्नाटा पसरा पड़ा है, जिसका असर कपड़ा व्यवसाय पर जबरजस्त पड़ा है. पटने में पटना थोक वस्त्र व्यवसायी संघ के सचिव पुरुषोत्तम कुमार चौधरी ने बताया कि सरकारी स्तर पर कोई आर्थिक मदद मुहैया नहीं है. ऐसे में इतने महंगे शोरूम का किराया, बिजली शुल्क, स्टाफ का वेतन आदि कैसे मैनेज हो, इसकी चिंता है. कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं होगा, तो उनके सामने भुखमरी की समस्या होगी. वहीं बिहार टेक्सटाइल चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रधान महासचिव रंजीत सिंह के अनुसार शादी-ब्याह के समय कपड़ा सबसे ज्यादा बिकता है. नुकसान का आकलन लगाना मुश्किल है. फिर भी 8 से 9 हजार करोड़ रुपये का तो नुकसान हुआ ही होगा. सरकार से मांग यह होगी कि जीएसटी को कम करके 2 परसेंट कर दिया जाये.