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पिता की कर्मभूमि और चाचा पारस के संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से चिराग करेंगे आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत, जानें सियासी मायने

लोक जनशक्ति पार्टी में हुई दो फाड़ के बाद अब पासवान परिवार में बड़ी दरार पड़ गयी है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस और बेटे चिराग पासवान अब एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन ही नहीं हो गए हैं बल्कि अब चाचा और भतीजे की घरेलू कलह भी मीडिया के सामने आ चुकी है. दोनों सार्वजनिक रूप से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं. दोनों अपने-अपने खेमे को साथ लेकर लोजपा पर बर्चस्व की जंग तेज कर चुके हैं. इस बीच चिराग पासवान ने बिहार में आर्शिवाद यात्रा निकालने का फैसला किया है. आइये जानते हैं इसके सियासी मायने....

लोक जनशक्ति पार्टी में हुई दो फाड़ के बाद अब पासवान परिवार में बड़ी दरार पड़ गयी है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस और बेटे चिराग पासवान अब एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन ही नहीं हो गए हैं बल्कि अब चाचा और भतीजे की घरेलू कलह भी मीडिया के सामने आ चुकी है. दोनों सार्वजनिक रूप से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं. दोनों अपने-अपने खेमे को साथ लेकर लोजपा पर बर्चस्व की जंग तेज कर चुके हैं. इस बीच चिराग पासवान ने बिहार में आशीर्वाद यात्रा निकालने का फैसला किया है. आइये जानते हैं इसके सियासी मायने….

लोजपा की नींव रखने वाले पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान अब दुनिया में नहीं है. उनके बाद पार्टी में अब बड़ी फूट हो चुकी है. रामविलास पासवान पर हमेसा परिवारवाद का एक तमगा लगा रहा. जिसका मुख्य कारण उनका अपने परिवार को एकसूत्र में पिरोये रखना और सियासत में भी सबों को भागीदार बनाए रखना रहा. लेकिन उनके जाने के बाद परिवार का दरार ही बड़े टूट का वजह बना. लोजपा अब परिवार के युद्ध में ही अपना सर्वस्व खो चुकी है लेकिन उसे वापस पाने की जद्दोजहद में दो अलग-अलग खेमे लगे हैं.

चिराग पासवान पूर्व मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र हैं. रामविलास ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर चिराग को यह जिम्मेदारी सौंपी थी. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस पार्टी के सबसे बडे और प्रमुख चेहरे रामविलास ही रहे. इसे चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस भी भली-भांती जानते हैं. यही वजह है कि जब बगावत के बाद पशुपति पारस मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने रामविलास पासवान का हवाला देकर ही लोजपा समर्थकों को साधने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा था कि इस फैसले से रामविलास पासवान की आत्मा को सुकुन मिलेगा. अब चिराग भी अपने पिता के जरिये ही लोगों के बीच जा रहे हैं.

चिराग ने पार्टी में चाचा पारस के नेतृत्व में हुई इस बगावत के बाद अब जनता का सहारा लिया है. उन्होंने आशीर्वाद यात्रा के जरिये जनता के बीच जाने का फैसला किया है. उनकी ये सियासी यात्रा हाजीपुर से शुरू होगी जिसके बड़े सियासी मायने होंगे. हाजीपुर रामविलास पासवान का ही कर्मक्षेत्र रहा है. इसी हाजीपुर से उन्होंने अपने भाइ यानी पशुपति पारस को चुनाव लड़ाया जो अभी भी यहां के सांसद हैं. चिराग इस यात्रा को अपने जन्मदिन यानी 5 जुलाई को शुरू करेंगे. इस दौरान को डेढ़ महीने के अंदर पूरे राज्य में जाएंगे.

चिराग ने इस बीच रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग भी की है. वहीं प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने अपनी मां का आशीर्वाद लिया और इस यात्रा के शुरूआत का संकल्प लिया. चिराग के लिए जनता के बीच जाने का फैसला अब कितना कारगर होगा यह तो भविष्य निर्धारित करेगा लेकिन पशुपति पारस और चिराग दोनों अभी रामविलास पासवान के नाम को ही खुद से जोड़कर ही जनता के बीच खड़े हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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