पटना. अब किसी भी यूनिवर्सिटी में जाति, पंथ, धर्म, भाषा, जातीयता, लिंग या अक्षमताओं के आधार पर किसी भी स्टूडेंट्स के साथ भेदभाव नहीं होगा. अगर भेदभाव होता है, तो इसके संस्थानों का ग्रांट भी रुक जायेगा. सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की शिकायतों का अब लोकपाल निवारण करेगा. इसके लिए यूजीसी ने छात्रों की शिकायतों के लिए शिकायत निवारण विनियम 2023 को अधिसूचित कर दिया है.
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि यह विनियम 2019 की जगह काम करेगा. इसके तहत दाखिला, फीस, सर्टिफिकेट वापस न करना, उत्पीड़न, परीक्षा, छात्रवृति, दाखिले के लिए अलग से पैसे की मांग करना, आरक्षण नियमों का पालन न करना आदि शिकायतों पर काम होगा. शिकायतों पर अब 15 कार्य दिवस के तहत समिति को रिपोर्ट और 30 दिनों में निबटारा करना होगा.
शिकायत के लिए ऑनलाइन विकल्प संस्थान को देना होगा. यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी अधिकारी और संकाय का सदस्य छात्रों के किसी समुदाय या वर्ग के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न करे. अगर किसी तरह की आनाकानी हुई तो यूजीसी ऐसे शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई करेगा. अगर राज्य सरकार के तहत संस्थान है, तो कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा जायेगा.
छात्रों की ओर से विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर बढ़ती शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया है. छात्रों से जुड़ी शिकायतों का निराकरण न करने पर संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकेगी. उन्हें दी जाने वाली किसी भी तरह की वित्तीय मदद रोकने सहित ऑनलाइन या दूरस्थ कोर्सों के संचालन पर भी रोक लगाने जैसे कदम उठाये जायेंगे. महाविद्यालयों के मामले में उनकी विश्वविद्यालयों से संबद्धता को भी वापस लिया जा सकेगा. सभी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों को इस बदलाव को तीन दिन के भीतर अमल में लाना होगा.
प्रो कुमार ने कहा कि नये नियम में कई महत्वपूर्ण बदलाव हैं. इसमें छात्रों से जुड़ी ऐसी शिकायतों के निराकरण के लिए प्रत्येक संस्थान को अब अपने यहां एक सख्त तंत्र तैयार करना होगा, जिसमें उन्हें छात्र शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) का गठन करना होगा. साथ ही लोकपाल भी नियुक्त करना होगा, जो समिति के काम पर नजर रखेगा.
प्रो कुमार ने कहा कि समिति में अध्यक्ष सहित छह सदस्य होंगे. संस्थान का कोई वरिष्ठ प्रोफेसर ही अध्यक्ष होगा, जबकि चार अन्य प्रोफेसर या वरिष्ठ शिक्षक इसके सदस्य होंगे. छात्रों का भी एक प्रतिनिधि इस समिति में रहेगा, जिसका चयन शैक्षिक योग्यता, खेलकूद आदि गतिविधियों में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर किया जायेगा. समितियों में महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी को प्रतिनिधित्व प्रदान करना होगा. यह पिछले विनियमों में नहीं था.
समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल दो साल के लिए होगा, जबकि विशेष आमंत्रित सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष के लिए होगा. किसी भी शिकायत को समिति को 15 दिनों के अंदर निबटाना होगा. साथ ही यह अपने लिये गये निर्णय और सिफारिशों से सक्षम अधिकारियों को अवगत करायेगी. इसकी एक प्रति शिकायतकर्ता छात्र को भी देनी होगी. इस दौरान समिति के निर्णय से सहमत न होने पर छात्र लोकपाल के पास शिकायत कर सकेगा.
वहीं, प्रत्येक संस्थान को लोकपाल नियुक्त करना होगा, जिसके पास समिति के निर्णयों को चुनौती दी जा सकेगी. इस पद पर सेवानिवृत्त पूर्व कुलपति, प्रोफेसर सहित सेवानिवृत्त जज आदि को भी नियुक्त किया जा सकेगा. इनका कार्यकाल वैसे तो तीन साल या फिर 70 साल की उम्र तक तक के लिए ही होगा. इस दौरान विशेष मामलों को छोड़कर मूल्यांकन से जुडे मामलों से लोकपाल को अलग रखा गया है. लोकपाल को किसी भी शिकायत का 30 दिन के भीतर ही निबटारा करना होगा. झूठी शिकायत पर शिकायतकर्ता के खिलाफ भी लोकपाल कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है. वहीं संस्थान को लोकपाल की सिफारिशों को मानना होगा.
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वहीं, नये रेगुलेशन के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों को किसी भी नये कोर्स को शुरू करने की जानकारी वेबसाइट पर 60 दिन पहले ही जारी करनी होगी. साथ ही उस कोर्स की फीस, पाठ्यक्रम की अवधि आदि का भी पूरा ब्यौरा देना होगा. उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों से की जा रही वसूली, फर्जी कोर्सों को संचालित करने, प्रवेश में तय नियमों में भी छेड़छाड़ करने और बच्चों पर जबरिया दाखिले का दबाव बनाने के लिए उनके प्रमाण पत्रों को जमा कराने, प्रवेश रद्द कराने के बाद फीस वापस न करने के तहत यह नियम लाया गया है. छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक सरलीकृत, लेकिन प्रभावी तंत्र तैयार करने के मकसद से यह विनियम 2023 लाया गया है.