पटना के एमपी-एमएलए सह आर्थिक अपराध के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी आदिदेव की अदालत ने मनीष कश्यप को से पूछताछ करने करने के लिए चार दिनों के पुलिस रिमांड पर इओयू को सौंप दिया है. इओयू ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सात दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर लेने के लिए आवेदन गुरुवार को दिया था. इधर, विशेष कोर्ट में तमिलनाडु की पुलिस द्वारा एक आवेदन देकर तमिलनाडु कोर्ट में पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट की इजाजत मांगी, लेकिन कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए इओयू की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद फिर से आग्रह करने का निर्देश दिया है. इसके बाद तमिलनाडु पुलिस मनीष कश्यप को लिए बिना ही वापस लौट गयी.
तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों को पीटने व तमिलनाडु से बाहर जाने का फर्जी वीडियो वायरल के मामले में इओयू ने मनीष कश्यप समेत अन्य के खिलाफ अलग-अलग तीन मामला 03/23, 04/23 व 05/23 दर्ज किया था. उक्त मामला आईपीसी की धाराएं 153, 153 ए, बी, 505, 467, 468, 471, 120 बी, 66, 66 डी आइटी एक्ट के तहत दर्ज किया गया था. इसी बीच पुलिस दबिश के बाद मनीष कश्यप ने सरेंडर कर दिया. इसके बाद इओयू ने उससे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है, ताकि फर्जी वीडियो वायरल करने के संबंध में पूरी जानकारी ली जा सके.
यू-ट्यूबर मनीष कश्यप की रिहाई की मांग को लेकर गुरुवार को बिहटा में भी बिहार बंद का असर मिला जुला रहा. दर्जनों युवाओं ने आगजनी कर बिहटा-औरंगाबाद मुख्य सड़क को जाम कर नारेबाजी की. गिरफ्तार मनीष कश्यप को रिहा करने की मांग भी लोगों ने की. विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया कि बिहार में अब तानाशाही का राज हो चुका है. एक पत्रकार जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ के रूप में जाना जाता है. वह गरीब और जरूरतमंद परिवारों की आवाज उठाने का काम किया जिसकी सजा उसे बिहार सरकार ने दी है. एक जाति विशेष और एक व्यक्ति को टारगेट किया जा रहा है. जिस घटना का जिक्र हो रहा है. उस घटना में केवल मनीष कश्यप ही नहीं यहां तक कि कई बड़े अखबार के बैनर भी शामिल हैं. लेकिन उसके ऊपर कोई भी कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है. इसलिए साफ तौर पर यह तानाशाही का रवैया है. जिसके विरोध में हम सभी लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से बिहार को बंद रखा है. सरकार से प्रशासन से मनीष कश्यप की रिहाई की मांग करते हैं.