पटना. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने कहा है कि बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का शराबबंदी कानून से कोई लेना-देना नहीं है. कुछ राजनीतिक दल व उनके नेता जान- बूझ कर इन मौतों को शराबबंदी कानून से जोड़ कर त्रासदी भरा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके बयानों के पीछे राजनीतिक स्वार्थ के साथ ही शराब माफियाओं की मिलीभगत होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जब बिहार में शराबबंदी नहीं थी, तब भी जहरीली शराब से मौतें हुआ करती थीं.
यही नहीं, शराबबंदी लागू नहीं होने वाले राज्यों में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है. मंत्री ने कहा कि विश्लेषण से पता चला है कि जहरीली शराब बनाने का मुख्य कारण शराबबंदी न होकर पूर्णत: आर्थिक है. शराबबंदी नहीं करने वाले राज्यों में भी कम मूल्य पर अवैध रूप से शराब उपलब्ध होने पर एक खास वर्ग (अधिकतर गरीब) उसकी ओर आकर्षित होता है. मृत्यु तब होती है जब नकली शराब किसी कारणों से जहरीली बन जाती है. इसलिए वैध दुकान होने पर भी लोग कम पैसे के चक्कर में नकली व जहरीली शराब पीकर अपनी जान देते हैं.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए मद्य निषेध मंत्री ने कहा कि 16 नवंबर , 2021 की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गहन समीक्षा के बाद शराब का व्यापार करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस व उत्पाद विभाग ने 1.40 लाख छापेमारियां की हैं, जिनमें 22803 लोग गिरफ्तार किये गये. 3000 गाड़ियों को भी जब्त किया गया. उन्होंने कहा कि सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक व पारिवारिक स्तर पर भी शराब की खामियों को उजागर कर इसे पीने से रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए.
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मंत्री ने कहा कि जिस तरह कानून होने के बावजूद लोग खाद्य पदार्थों, दवा आदि की नकल कर उसका व्यापार करते हैं, ठीक उसी तरह शराबबंदी कानून के बावजूद आर्थिक फायदे के लिए शराब का व्यापार किया जा रहा है. शराबबंदी कानून हटाये जाने से न तो जहरीली शराब बनने पर रोक लगेगी, न इससे होने वाली मौत पर. इसलिए राज्य सरकार शराब माफियाओं के गिरोह को तोड़ने के लिए पूरी ताकत से जुटी है. यही इस समस्या का स्थायी निदान है.