प्रहलाद कुमार, पटना. बिहार की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या में हर साल आठ से 12% की वृद्धि हो रही है. इस कारण से गाड़ियों में लगने वाले मोडिफाइड साइलेंसर और हॉर्न से लोगों में सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है. अगर लोग सतर्क नहीं होंगे, तो इस ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में और तेजी से बहरापन बढ़ेगा. 15 साल पहले शहर का ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में 55 से 65 डेसीबल से अधिक नहीं होता था. लेकिन, आज हालात ऐसे हैं कि सुबह ड्यूटी, स्कूल के समय और देर शाम में 90 डेसीबल तक ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है, जो कान के लिए बेहद खतरनाक है. डॉक्टरों के मुताबिक कान के लिए जीरो से 60 डेसीबल तक आवाज सामान्य है. यहां कान खराब होने या कान का चदरा फटने की संभावना ना के बराबर है, लेकिन बिहार के सभी शहरों में 90 से सौ डेसीबल तक होता है. इस कारण से लोगों में तेजी से बहरापन बढ़ रहा है.
परिवहन विभाग मॉडिफाइड साइलेंसर व तेज हॉर्न वाली गाड़ियों को पकड़ने के बाद जुर्माना वसूलता है. बावजूद इसके गाड़ी में हाॅर्न को बदलकर तेज आवाज का हाॅर्न लगाया जाता है. नियम के अनुसार, अस्पताल के पास तेज हॉर्न बजाना गलत है. इसके बावजूद पीएमसीएच सहित अन्य अस्पतालों के पास शाम में 90 डेसीबल तक शोर होता है, जो नियम का उल्लंघन है.
आइजीआइएमएस इएनटी विभाग के एचओडी डॉ राकेश कुमार सिंह ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के कारण लोग अब ऊंचा सुनने लगे हैं. तेज आवाज से कान का चदरा फट जाता है और ऐसे हजारों मरीज हर माह में इलाज के लिए पहुंचते हैं. पीएमसीएच के फिजिशियन डॉ अभिजीत ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण बढ़ने से लोगों के अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, मानसिक कमजोरी और ऊंचा सुनना की आदत बढ़ जाती है. लोग बहरापन के शिकार हो जाते हैं.
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डाक बंगला चौराहा 86.5
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एक्जीविशन रोड 90.4
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जेपी गोलंबर 85.0
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कारगिल चौक 87.2
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अशोक राज पथ 84.7
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आर ब्लाक 86.6
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कंकड़बाग 89.4
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राजेन्द्र नगर टर्मिनल 87.5
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सिटी चौक 89
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नाला रोड 84.3
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साल- निबंधित गाड़ी
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2016-17- 763618
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2017-18- 1113806
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2018-19- 120218
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2019-20- 1350706
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2020-21- 908167
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2021-22- 1004875
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2022-23- 931046