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बिहार में लॉकडाउन के दौरान लाखों बच्चों ने प्राईवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिया दाखिला, जानें क्या है वजह

Bihar School news: कोरोनाकाल(Coronavirus) में बिहार के प्राइवेट स्कूलों(private school in bihar) में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में काफी कमी आई है. वहीं निजी स्कूलों से नाम कटवाकर बड़ी संख्या में बच्चे अब सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान अप्रैल 2020 से लेकर अब तक करीब दो लाख छात्र सरकारी स्कूलों (govt school in bihar) में शिफ्ट हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके कई कारण हैं. जिनमें फीस (school fees ) और ऑनलाइन क्लास(Online Classes) भी बड़ा कारण रहा.

Bihar School news: कोरोनाकाल(Coronavirus) में बिहार के प्राइवेट स्कूलों(private school in bihar) में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में काफी कमी आई है. वहीं निजी स्कूलों से नाम कटवाकर बड़ी संख्या में बच्चे अब सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान अप्रैल 2020 से लेकर अब तक करीब दो लाख छात्र सरकारी स्कूलों (govt school in bihar) में शिफ्ट हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके कई कारण हैं. जिनमें फीस (school fees ) और ऑनलाइन क्लास(Online Classes) भी बड़ा कारण रहा.

कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल व बच्चों की पढ़ाई भी काफी प्रभावित हुई है. हाल में ही सूबे की सरकार ने बिहार में स्कूलों को सशर्त वापस खोलने का फैसला लिया. लेकिन इस बीच प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में काफी गिरावट पायी गयीं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान प्रदेश में करीब 2 लाख बच्चे ऐसे पाए गए जिन्होंने प्राइवेट स्कूल से नाम कटाकर सरकारी स्कूल में अपना दाखिला करवा लिया है. इस दौरान छात्रों ने पहले स्कूल जाना छोड़ा और फिर नाम ही कटवा लिया.

इस दौरान बिहार बोर्ड की इंटर परीक्षा में भी इस बार 2 लाख से अधिक छात्र बढ़े हैं. जिसमें निजी स्कूलों से आने वाल करीब 50 हजार छात्र शामिल हैं. वहीं 20200 के इंटर परीक्षा में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ी है.

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पिछले साल कोरोनाकाल में ही जुलाई 2020 में दसवीं बोर्ड का रिजल्ट आया है. जानकारी के अनुसार, इस बार ज्यादातर छात्रों ने 11वीं के लिए सरकारी स्कूलों को ही अपना पसंद बनाया है. जिसके कारण बिहार के प्राईवेट स्कूलों में एडमिशन की संख्या घटी है. 11वीं में करीब 20 हजार से अधिक स्टूडेंट ऐसे मिले जो निजी स्कूल से सरकारी में शिफ्ट कर गए. वहीं पांचवी से आठवीं तक के करीब सवा लाख बच्चों का नाम अभिभावकों द्वारा प्राईवेट स्कूल से कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिखा दिया गया.

प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी में लिखवाने के कई कारण सामने आए हैं. कोरोनाकाल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई जो इस पलायन का बड़ा कारण बना.वहीं इस दौरान कई प्राईवेट स्कूलों ने कोरोनाकाल में लॉकडाउन के बीच भी फीस ली. अधिकतर स्कूलों ने फीस माफ नहीं किया. वहीं अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव भी इस दौरान बनाया जाता रहा. जिसके कारण अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करा लिया.

Posted by: Thakur Shaktilochan

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