वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) अब एनडीए से बाहर किये जा चुके हैं. वीआईपी पार्टी के सभी विधायकों ने हाल में ही भाजपा का दामन थाम लिया है. सहनी के पास से मंत्री पद भी ले लिया जा चुका है और अब वीआईपी प्रमुख को एमएलसी पद से भी रियाटर हो जाना है. उनका कार्यकाल अब समाप्त ही होने के कगार पर है. इस पद के लिए अब चुनाव होना है. मुकेश सहनी को यह सीट उनके विरोधों के बाद भी लेना पड़ा था. इसके पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी भूमिका रही थी.
विधानसभा चुनाव के दौरान मुकेश सहनी को जब महागठबंधन से निराशा हाथ लगी तो एनडीए ने वीआईपी को अपने साथ शामिल कर लिया. मुकेश सहनी के 4 उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन खुद मुकेश सहनी ही अपनी सीट हार गये. एनडीए को बहुमत प्राप्त हुआ और जनादेश के तहत नीतीश कुमार की सरकार फिर एकबार बनी. मुकेश सहनी को कैबिनेट में मंत्री पद दिया गया. जिसके बाद नियम के तहत उन्हें भाजपा ने अपने कोटे से विधान परिषद भेजने का फैसला लिया.
भाजपा के पास दो सीटों पर फैसला करना था. एक सीट पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के कारण खाली हुई थी. इसका कार्यकाल लंबा था और दूसरे सीट का कार्यकाल जून 2022 में समाप्त हो रहा था. सुशील मोदी वाली सीट पर भाजपा ने शाहनवाज हुसैन को भेजने का फैसला लिया तो मुकेश सहनी अड़ गये. सहनी की पार्टी ने जिद रखी कि वो अल्पकाल वाली सीट को छोड़कर 2024 तक चलने वाली सीट पर काबिज होंगे. जिसके बाद पेंच फंसना शुरू हुआ.
भाजपा की इन सीटों को लेकर जब पेंच फंसा तो जनवरी 2021 में मुकेश सहनी की बात गृह मंत्री अमित शाह से हुई. अमित शाह ने मुकेश सहनी को भरोसे में लिया और दोनों की बातचीत के बाद मुकेश सहनी छोटे कार्यकाल वाली सीट पर उम्मीदवार बनने को राजी हो गये. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट करके भी इन बातों को सबके बीच रखा.
लेकिन आज उसी फैसले की देन है कि मुकेश सहनी और भाजपा में दो फाड़ होने के बाद भी अब भाजपा को लंबे समय तक मुकेश सहनी को अपने कोटे की सीट पर नहीं बैठाना पड़ रहा है. वहीं मुकेश सहनी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan