पटना. बिहार में नगर निकाय चुनाव पर एक बार फिर बड़ा ग्रहण लग गया है. नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाले बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. ऐसे में नगर निकाय चुनाव में फिर पेंच फंस गया है. इस संबंध में भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक ट्वीट की है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगा दी है. भाजपा पहले से कह रही थी कि नया कमीशन बनाइए, परंतु नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे. फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगा दी है ।बीजेपी पहले से कह रही थी नया कमीशन बनाइए परंतु नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे।फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया ।@ZeeBiharNews @News18Bihar @ANI pic.twitter.com/TMh96HngtN
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) November 30, 2022
पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि बिहार सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आऱक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया है. कोर्ट ने पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट करार देकर चुनाव कराने को कहा था. जिसके बाद सरकार ने पिछले चार अक्टूबर को पूरी चुनावी प्रक्रिया रद्द कर दी थी. साथ ही सरकार ने घोषणा की कि पिछड़ों पर रिसर्च कराया जायेगा. इस आय़ोग की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव में पिछड़ों के लिए आरक्षण तय किया जायेगा. बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आयोग को इसका जिम्मा सौंपा गया. पटना हाईकोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी.
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत औऱ जस्टिस जे. के. माहेश्वरी की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. सुनील कुमार की ओर बहस करने वाली वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग से आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना सही नहीं है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग को एक डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पक्ष रखने के लिए बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. उन्हें चार सप्ताह में अपना पक्ष रखना है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ आदेश दे रखा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में राज्य सरकार पिछड़े वर्ग को तभी आरक्षण दे सकती है जब वह ट्रिपल टेस्ट कराये. कोई भी राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराये हुए ओबीसी वर्ग को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दे सकती है. ट्रिपल टेस्ट वाले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने डेडिकेटेड आयोग बनाने को कहा था. बिहार सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को ये काम सौंप दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग डेडिकेटेड आयोग नहीं है. हालांकि राज्य सरकार को चार सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है. अगर सुप्रीम कोर्ट उसकी दलीलों से संतुष्ट होता है तो फिर चुनाव का रास्ता साफ हो सकता है. लेकिन फिलहाल तो मामला लटक गया है.