बिहार में अब एनएच निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के तुरंत बाद जमीन की दाखिल खारिज केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नाम से करवानी होगी. यह निर्देश राज्य में मंत्रालय और उससे संबंधित एजेंसी के अधिकारियों को दिये गये हैं. इसका मकसद जमीन मालिक के वंशजों द्वारा दोबारा मुआवजा लेने के फर्जीवाड़े को रोकना है. साथ ही इससे अधिगृहित जमीन के मालिकाना पर पुराने रैयत या कोई अन्य व्यक्ति दावा नहीं कर सकेगा.
अधिगृहित जमीन की दाखिल खारिज प्रक्रिया जटिल
सूत्रों के अनुसार इस तरह के अधिगृहित जमीन की दाखिल खारिज प्रक्रिया फिलहाल जटिल है. इस कारण अधिग्रहण के बाद नया दाखिल खारिज करवाने में लंबा समय लग जाता है. साथ ही बहुत जमीन का नया दाखिल खारिज नहीं होने से वह पुराने रैयत के नाम पर ही रह जाता था. इसका खामियाजा कुछ वर्षों बाद सरकार को दोबारा मुआवजा देकर चुकाना पड़ता था.
ऐसे जमीन की दाखिल खारिज प्रक्रिया जटिल
सूत्रों के अनुसार एनएच निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नाम से दाखिल खारिज करवाने का नियम है. इसकी प्रक्रिया की जिम्मेवारी राज्य में मंत्रालय या उससे जुड़ी एजेंसी के अधिकारियों की है. उनकी तरफ से नये दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया जाता है. अंचल कार्यालय की तरफ संबंधित कागजातों की मांग और जांच की प्रक्रिया जटिल होने से इसमें लंबा समय लगने या आवेदन को रद्द किये जाने की संभावना होती है. दूसरी तरफ मंत्रालय के जिम्मेदार अधिकारी का तबादला हो जाने से भी दाखिल खारिज की प्रक्रिया लटक जाती है.
दोबारा मुआवजा वसूली का खतरा
सूत्रों के अनुसार पुराने रैयत के नाम से जमीन रह जाने के कुछ साल बाद उसी अधिगृहित जमीन का मुआवजा दोबारा वसूले जाने का खतरा रहता है. जानकारों का कहना है कि कुछ वर्षों बाद जमीन अधिग्रहण संबंधी कागजात और साक्ष्य नष्ट कर दिये जाते हैं. ऐसे में कुछ ठग किस्म के रैयत इसी फिराक में रहते हैं और यह पता लगाते रहते हैं. साक्ष्य नष्ट होने और जमीन पुराने रैयत के नाम से रहने के बाद वे ठग किस्म के रैयत (पुराने जमीन मालिक) कोर्ट में मुआवजा नहीं मिलने की शिकायत कर, मुआवजा का दावा करते हैं. ऐसी हालत में साक्ष्य के अभाव में उनको कोर्ट की तरफ से निर्देश के बाद मुआवजा मिल जाता है.
एनएच-104 में हो चुकी है घटना
जानकारों का कहना है कि एनएच-104 निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के समय राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से संबंधित रैयत को मुआवजा दे दिया गया. उस जमीन का दाखिल खारिज पुराने रैयत के नाम से रह गया. करीब 21 साल बाद उस जमीन का मुआवजा वितरण संबंधी साक्ष्य नष्ट हो गया. ऐसे में करीब 22 साल बाद रैयत के वंशज ने कोर्ट में मुआवजा नहीं मिलने और इसे दिलवाने की प्रार्थना की. इस पर साक्ष्य के अभाव में संबंधित को दोबारा मुआवजा देना पड़ा.
ग्रामीण सड़कों से जुड़ने वाले कट होंगे बंद
इधर, सड़क दुर्घटना रोकने में पथ निर्माण, एनएचएआइ और ग्रामीण कार्य विभाग की लापरवाही सामने आयी है. इन तीनों विभागों ने सड़क बनाने में सड़क सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा. सड़क निर्माण के दौरान ही निर्माण विभागों को साइनेज लगाने को कहा जायेगा. मोड़, ढलान, ऊंचाई, तीखा मोड़, घुमावदार जैसी स्थिति को भी बोर्ड से दर्शाने को कहा जायेगा. साथ ही, ग्रामीण सड़कों से जुड़ने वाले सभी कट को बंद किया जायेगा. विभाग संबंधित विभागों को जल्द ही एक इस बाबत पत्र भेजेगा.
अंधेरे के कारण हो रही है सड़क दुर्घटनाएं
इसके अलावा प्रमुख सड़कों के किनारे स्ट्रीट लाइट भी लगाने का अनुरोध संबंधित विभाग से कहा जायेगा ताकि अंधेरा होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके. यह निर्णय सड़कों के निर्माण में सड़क सुरक्षा मानकों की समीक्षा के बाद लिया गया है.
अधिकतर सड़कों पर मानकों का नहीं होता है अनुपालन
समीक्षा में पाया गया है कि अधिकतर सड़कों पर निर्माण विभागों ने मानकों का अनुपालन नहीं किया. वहीं,सड़क का निर्माण कर लिया गया पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए चेतावनी नहीं लिखे गये. न तो साइनेज लगाये गये और न ही आगे तीखा मोड़ है जैसे बोर्ड लगाये गये हैं. साइनेज के अभाव में गाड़ी चलाते समय यात्रियों को अहसास नहीं होता है कि आगे सड़क की क्या स्थिति है. इस कारण नये रास्ते से गुजर रहे यात्री वाहनों की चपेट में आ जाते है. इन्हीं स्थिति से निबटने के लिए विभाग ने तय किया है कि सड़कों पर सड़क सुरक्षा के सभी मानकों का सख्ती से पालन किया जाये.