बिहार में शराब के अलावा मादक पदार्थों में सबसे अधिक गांजा, अफीम व चरस की तस्करी हो रही है. शनिवार को अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के दिन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से बिहार में मादक पदार्थों की तस्करी व उसके खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट जारी की गयी है. अगर मादक पदार्थों में शराब को छोड़ दिया जाये तो एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सबसे अधिक गांजा, अफीम और चरस की तस्करी व जब्ती हुई है, जबकि हीरोइन व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी काफी कम है.
वहीं दूसरी तरफ एनसीबी ने कार्रवाई करते हुए बीत छह वर्षों से अधिक समय में बिहार से 293 लोगों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है. इसमें इस वर्ष अब तक 36 लोग नशीले पदार्थों की तस्करी करते हुए राज्य से एनसीबी ने पकड़े हैं.
एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 से लेकर अब तक यानी साढ़े छह वर्षों में राज्य के विभिन्न जगहों से सबसे अधिक गांज की तस्करी को पकड़ा गया है. इन वर्षों के दौरान एनसीबी ने 38 हजार दो सौ नौ किलो 67 ग्राम गांजा पकड़ा है. इसमें इस वर्ष में अब तक चार हजार आठ सौ 26 किलो 100 ग्राम गांजा पकड़ा गया है. उसी प्रकार दूसरे नंबर पर अफीम की जब्ती हुई है.
वर्ष 2015 से अब तक एनसीबी ने 48 किलो आठ सौ 45 ग्राम अफीम और इतने वर्षों में पांच सौ 46 किलो 49 ग्राम अफीम बिहार से पकड़ा गया है. इस वर्ष अब तक एनसीबी ने बिहार से पांच किलो 25 ग्राम अफीम और 48 किलो आठ सौ 90 ग्राम चरस की जब्ती की है. इसके अलावा अन्य मादक पदार्थ काफी कम मात्रा में पकड़े गये हैं.
एनसीबी के अनुसार देश के साथ बिहार में भी वर्ष 2020 के दौरान कोविड काल के बाद नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ी है. इसका साफ मतलब है कि मादक पदार्थों का उपयोग बढ़ा है. रिपोर्ट के अनुसार देश में तस्करी का मार्ग पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान के अलावा गोल्डन ट्रैंगल म्यांमार, थाईलैंड और लाओस है.
बिहार में भी बीते दिनों में त्रिपुरा व श्रीलंका आदि जगहों से तस्करी के माध्यम से नशीले पदार्थ आ रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार बिहार व झारखंड के कुछ भागों में नशीले पदार्थ की खेती की सूचना है.
Posted By: Thakur Shaktilochan