बिहार में हाल में ही राज्यपाल के द्वारा 12 विधान पार्षदों का मनोनयन किया गया. ये सभी चेहरे अब बिहार विधानमंडल का हिस्सा बन चुके हैं. जिन 12 लोगों के चयन का प्रस्ताव राज्य सरकार के द्वारा भेजा गया उनमें जदयू और भाजपा के नेता शामिल हैं. दो वो चेहरे भी इनमें शामिल हैं जो वर्तमान में राज्य सरकार के मंत्री भी हैं. आइये जानते हैं कि राज्यपाल कोटे से किन लोगों का मनोनयन किया जाता है और भारत के संविधान में इनके चयन का क्या प्रावधान है.
भारतीय संविधान में संघ और राज्यों के बीच सामंजस के साथ बंटवारा किया गया है. इसमें संघ और राज्यों के लिए अलग विधान बनाये गये हैं. राज्य को भी अपनी अलग विधायी शक्ति दी गयी है. जिसके तहत राज्य के विधानमंडल अपने राज्य के लिए विधि बनाते हैं. संविधान में प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल का प्रावधान है. प्रत्येक राज्य का विधानमंडल राज्यापाल और दो सदनों(विधानसभा व विधान परिषद) से मिलकर बनता है.
भारतीय संविधान के द्वारा दी गई अनुमति के तहत हर राज्य अपने विधानमंडल के अंतर्गत उच्च सदन के रुप में विधानपरिषद की स्थापना करता है. इसकी स्थापना राज्य की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या एवं अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. यह सदन कई बार विवादों का विषय भी बनता रहा है. एक तरफ इसे जहां सरकार के कार्यों पर पहरेदारी करने वाला सदन कहा जाता है तो दूसरी तरफ इनके सदस्यों पर पद के दुरुपयोग का अनर्गल आरोप भी लगता रहा है.
विधानसभा में संविधान के अनुच्छेद-171 के तहत विधानमंडल के 1/6 सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किये जाते हैं. संविधान के अनुसार ये वो सदस्य होने चाहिए जो कि राज्य के साहित्य, कला, सहकारिता, विज्ञान और समाज सेवा का विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव रखते हों. बिहार में हाल में ही 12 सदस्यों की सूची सरकार के द्वारा भेजी गयी. इन 12 नामों में 6 भाजपा के तो 6 जदयू के शामिल हैं.
बिहार में राज्यपाल कोटे से मनोनीत होकर जो 12 लोग विधान परिषद के सदस्य बने हैं उनमें दो राज्य सरकार कैबिनेट में मंत्री भी हैं. बीजेपी ने जिन छह चेहरों को विधान परिषद सदस्य बनाया है उनमें प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर, जनक राम, राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, देवेश कुमार और निवेदिता सिंह शामिल हैं.
वहीं जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा, संजय गांधी, ललन सर्राफ, रामबचन राय, अशोक चौधरी और संजय सिंह को विधान परिषद सदस्य बनाया है. विधान परिषद के सदस्यों के कार्यकाल की सीमा भी राज्यसभा सदस्य के तरह ही 6 वर्ष का होता है , किंतु प्रत्येक 2 वर्ष के बाद इसके 1/3 सदस्य अवकाश प्राप्त कर लेते है और उनके स्थान पर नए सदस्य चुने जाते है.
गौरतलब है कि बिहार और झारखंड के अलग होने के बाद बिहार विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 75 निर्धारित की गई. अभी बिहार विधान परिषद् में 27 सदस्य बिहार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से, 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से, 6 स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से, 24 स्थानीय प्राधिकार से तथा 12 मनोनीत सदस्य होते हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan