बिहार में नगर निकाय चुनाव रद्द होने के बाद पटना नगर निगम चुनाव में खास कर मेयर पद के उम्मीदवार काफी परेशान हो गये हैं. किसी ने चुनाव लड़ने में करोड़ों खर्च करने का प्लान बनाया था, तो किसी ने ताबड़तोड़ जनसभा कर जीत को लेकर काफी मेहनत शुरू कर दी थी. सूत्रों की मानें, तो एक मेयर उम्मीदवार ने करीब पांच करोड़ राशि खर्च का ब्योरा तैयार किया था. एक-एक वार्ड में युवा समूह के कार्यकर्ताओं को 25-25 हजार रुपये प्रचार को दिये थे.
कई प्रत्याशियों ने नामांकन के दिन ही 10 लाख के लगभग खर्च कर दिया था. एक उम्मीदवार ने अखबार में लाखों का विज्ञापन देकर अपने प्रचार की शुरुआत की थी. उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अब तक 40 लाख खर्च हो चुके हैं और कुल मिला कर 63 लाख का ब्योरा बना है. वहीं एक उम्मीदवार ने हजारों रुपये खर्च कर अपनी एक सोशल मीडिया टीम बना रखी थी. हर दिन जनसभा, लोगों से मुलाकात, फोटो और खबर दिन में कई बार पोस्ट किये जा रहे थे. एक उम्मीदवार अपनी जनसभा में हर दिन भोज दे रहे थे.
पटना सिटी से वार्ड पार्षद रहे और मेयर के एक उम्मीदवार ने बताया कि उनकी सारी तैयारी बेकार हो गया. सूत्रों की मानें, तो सरकार की ओर से अब आरक्षण के वर्ष 2005 के डेटा का आधार बना कर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी चल रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 के आरक्षण के प्रावधान के अनुसार हाइकोर्ट को सुनवाई करने के निर्देश दिये थे और उसी के अनुसार कोर्ट का यह फैसला आया है. नये सिरे से चुनाव के लिए कम से कम तीन से चार माह तक इंतजार करना पड़ सकता है.
फिलहाल नगर निगम में 19 जून से मेयर व पार्षद का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. लगभग पौने चार माह से नगर आयुक्त बतौर प्रशासक निगम के काम को देख रहे हैं. इस दौरान केवल नियमित कार्य मसलन सफाई आदि का कार्य ही किया जा रहा ह
Also Read: बिहार में 9 से 19 अक्टूबर तक भारी बारिश के आसार, मौसम विभाग का अलर्ट, जानें Weather Update
एक उम्मीदवार ने बताया कि फिलहाल मैंने 12 से अधिक वार्डों में जनसभा और संपर्क अभियान चलाया था. सभी वार्ड और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता बनाने के लिए सूची तैयार की जा रही थी. चुनाव स्थगित होने के बाद फिलहाल यह सब अब बंद कर दिया है. एक वार्ड पार्षद उम्मीदवार ने बताया कि उनके चुनाव खर्च के लिए मेयर उम्मीदवार पैसा दे रहे थे. अब तो चुनाव ही नहीं होगा. ऐसे में अब कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.