दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी माहौल गरम है. कई विपक्षी दलों ने 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह का बॉयकॉट किया है. इस बीच अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दे दी है. नीतीश कुमार ने नए संसद भवन की जरूरत पर सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि इसकी क्या जरूरत थी.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि भला इस नए संसद भवन की क्या जरूरत थी. पुरानी बिल्डिंग से इतिहास जुड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम हमेसा कहते आए हैं कि ये लोग जो सत्ता में बैठे हैं वो देश का पूरा इतिहास बदल देंगे.
वहीं नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लेने के सवाल पर सीएम ने कहा कि उस बैठक में जाने का कोई मतलब नहीं है. सीएम ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने की नाराजगी फिर जताई. वहीं साफ किया कि वो नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं जा रहे हैं.
नीति आयोग की शनिवार को नयी दिल्ली में हो रही बैठक में बिहार शामिल नहीं होगा. राज्य सरकार ने बिहार से जुड़े कुछ मुद्दों को इस बैठक में शामिल करने का सुझाव दिया था. लेकिन, शुक्रवार शाम तक आयोग की ओर से बिहार के सुझाव पर अमल का कोई जवाब नहीं दिया गया था. लिहाजा माना ही जा रहा था कि बैठक में बिहार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा. आयोग ने इस बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया था.
अब तय हो गया है कि बिहार सरकार का कोई प्रतिनिधि नीति आयोग की शनिवार की बैठक में शामिल नहीं होगा.बिहार को विशेष राज्य के दर्जा देने की मांग राज्य सरकार हर फोरम पर कर रही है. राज्य में गठबंधन की सरकार बनाने के बाद यह और जोर पकड़ने लगी है. नीति आयोग की बैठक से पहले बिहार ने विशेष दर्जे की मांग केलिए आयोग की रिपोर्ट को भी आधार बना कर रिपोर्ट पेश किया था. तर्क यह है कि बिहार देश में सबसे तेजी से प्रगति करने वाला राज्य है, इसके बाद भी आयोग की रिपोर्ट में सबसे पिछड़ा व गरीब बताया जाता है. इसकेलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना समय की मांग है.