पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेट्रोल-डीजल के बढ़ते हुए दाम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसे कम करने पर विचार करेंगे. पहले राज्य में और फिर केंद्र से भी इसके लिए बात करेंगे. उन्होंने कहा कि अब तक इसकी बढ़ी हुई कीमतों पर विशेष तौर पर ध्यान नहीं दिया था. लेकिन, अब पहले बिहार में आपस में इस पर बातचीत करके उचित निर्णय लेंगे. इसके बाद केंद्र से भी इस मामले को लेकर विचार-विमर्श किया जायेगा. पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार सामूहिक प्रयास करने पर विचार करेगी.मुख्यमंत्री सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
सात महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के दौर में इस तरह का प्रदर्शन जारी रहना कहीं से उचित नहीं है. केंद्र सरकार ने इसका समाधान निकालने की कई बार कोशिश की, लेकिन इसका समाधान नहीं निकला. यह दुखद है. कृषि कानून का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र की नीति किसी के खिलाफ नहीं है. फिर से इस मसले पर बातचीत करके इसका समाधान करने की जरूरत है.
यह कुछ राज्यों तक ही सीमित है. मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन के संबंध में कहा कि बिहार में इस तरह की कोई समस्या नहीं है. यहां सबसे पहले कृषि कानून बने और इस क्षेत्र में सुधार को लेकर कार्य किये गये. इससे उत्पादकता बढ़ी है. यहां के किसानों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है. कृषि के क्षेत्र में यहां शुरू से ही काम किये गये हैं. सूबे के किसान पूरी तरह से आजाद हैं, वे जहां चाहे अपनी उपज को किसी कीमत पर बेच सकते हैं. किसी तरह की कोई बंदिश नहीं है.
सीएम ने कहा कि सरकार शुरू से ही बड़े स्तर पर अनाज की खरीद करती है. किसानों को इसका काफी लाभ भी मिलता है. यहां अनाज की बड़े स्तर पर खरीद होती है. इस बार से गेहूं की भी खरीद शुरू की गयी है. आगे और भी होगी. इसलिए यहां की बात एकदम दूसरी है. उन्होंने कृषि कानून पर कहा कि जिन राज्यों में अनाज की खरीद काफी पहले से शुरू हुई थी, उस इलाके के लोगों से बात करके तय करना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने अनुरोध करते हुए कहा कि कोरोना के इस संक्रमण काल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का लगातार जुटे रहना सही नहीं है. एक बार दूसरी और तीसरी लहर आ रही है. इसे लेकर ध्यान देने की जरूरत है. यह अलग बात है कि कोई किसी मुद्दे पर विपक्ष में है, तो कोई पक्ष में. लेकिन, कोरोना के दौर में इस समस्या का समाधान तुरंत निकालना चाहिए.
इस बार फिर शुरू किया गया जनता दरबार का यह दूसरा कार्यक्रम था. सुबह 11 बजे से दोपहर करीब तीन बजे चला. इस दौरान विभिन्न जिलों से आये 106 लोगों ने अपनी-अपनी समस्याएं सुनायीं, जिनका समाधान मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को फोन लगाकर ऑन स्पॉट किया. इस बार सबसे ज्यादा घर-घर नल का जल, नली-गली, बिजली और पीएम आवास योजना से जुड़ी समस्याएं आयीं.
जनसंख्या कानून पर शिवसेना के हालिया बयान पर मुख्यमंत्री ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि ऐसे बयान देने वाले लोगों को समझ नहीं है. हम इनके बयानों का कोई नोटिस नहीं लेते हैं. बिहार के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मौत होने पर इन लोगों (शिवसेना) ने किस तरह के बयान दिये थे. उन्होंने कहा कि इस मसले पर कौन राज्य क्या चाहता है, वह करे. लेकिना, हमारी समझ में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी चीज महिला साक्षरता ही है.
यह बात साबित हो चुकी है कि पत्नी अगर मैट्रिक पास है, तो प्रजनन दर दो प्रतिशत तक रहती है. महिला शिक्षित होगी, तो प्रजनन दर घटेगी. इसका असर बिहार में दिख चुका है. इसी वजह से यहां की सभी पंचायतों में हाइस्कूल खोलने की पहल शुरू की गयी है. जहां जमीन नहीं मिली, वहां के मिडिल स्कूल को अपग्रेड करके हाइस्कूल बना दिया गया है. उन्होंने जनसंख्या रजिस्टर पर कहा कि बिहार में इस तरह की कोई समस्या नहीं है.
इस्राइल फोन टेपिंग मामले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधि हो या कोई अन्य, फोन टेपिंग की घटना एकदम गलत है. किसी को इस तरह से परेशान करना एकदम गलत है. लोगों को काम करने में परेशानी आती है. इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए. यह नयी तकनीक सुविधा के साथ आफत पैदा करेगी ही.
नयी तकनीक का जितना लाभ मिल रहा है, उतना लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. सोशल मीडिया का कितना प्रभाव पड़ा है, लोग इसे देख रहे हैं. लेकिन, कई लोग सोशल मीडिया पर गैर सामाजिक काम करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना जिस रूप में आया है, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. दूसरी और तीसरी लहर आ रही है.
Posted by Ashish Jha