राज्य भर की सड़कों पर लोग ध्वनि प्रदूषण से परेशान हो गये हैं. गाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण लोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों के हॉर्न पर भी हाथ रखकर सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं. परिवहन विभाग ने ध्वनि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकारी व निजी गाड़ियों पर नो हॉर्न का स्टिकर लगाना अनिवार्य करने जा रही है. वहीं, शोरूम से निकलने वाली गाड़ियों पर यह स्टिकर वहीं से लगा आयेगा. इसकी शुरुआत चार से अधिक जिलों से एक साथ होगी. इस नये दिशा-निर्देश की गाइडलाइन जल्द ही सभी जिलों में डीएम को भेज दी जायेगी. नो हॉर्न का स्टिकर लगाये जाने से चालक को यह अहसास होगा कि कहीं भी बिना बात के हॉर्न नहीं बजाएं.
पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर में सभी सरकारी गाड़ियों और सरकारी बसों में यह स्टिकर मार्च से लगाने का काम तेजी से होगा. सरकारी सभी बसों में नो हॉर्न के बारे में तस्वीर रहेगी, जिससे लोग सड़कों पर कम से कम हॉर्न का इस्तेमाल करें. बस के बाहरी हिस्सों में कलर व स्टिकर के माध्यम से तेज हॉर्न से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक किया जायेगा.
परिवहन विभाग वैसी गाड़ी जिसमें डबल या तेज हॉर्न या जो हॉर्न कंपनी से लगा कर दिया गया हो. उसे गाड़ी मालिक ने किसी तेज हॉर्न के साथ बदला होगा, तो वैसी स्थिति में उस गाड़ी मालिक से जुर्माना वसूला जायेगा.
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केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम 120 (2) व पर्यावरण (संरक्षण) नियमावली 1986 के अनुसूची के तहत ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले प्रेशर हॉर्न मल्टी ट्यूंड हॉर्न मालिकों से प्रथम अपराध के लिए 1000 और द्वितीय अपराध के लिए 2000 तक दंड लगाया जायेगा.
Posted By: Thakur Shaktilochan