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बिहार में जमीन पर बैठकर अब नहीं पढ़ेंगे बच्चे, सरकारी स्कूलों को मिली फर्नीचर खरीदने की हिदायत

माध्यमिक स्कूलों में जमा करोड़ों की राशि से उनके पोषक क्षेत्रों के दायरे में आने वाले नजदीकी प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को बैठने के लिए जरूरी फर्नीचर खरीदे जायें. अगर किसी माध्यमिक स्कूल में राशि कम है तो उन प्रारंभिक स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए कम से कम दरियां खरीद कर जरूर दी जायें.

पटना. आने वाली सर्दियों में प्रदेश के एक भी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के विद्यार्थी ठंडी जमीन (फर्श) पर नहीं बैठेंगे. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि माध्यमिक स्कूलों में जमा करोड़ों की राशि से उनके पोषक क्षेत्रों के दायरे में आने वाले नजदीकी प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को बैठने के लिए जरूरी फर्नीचर खरीदे जायें. अगर किसी माध्यमिक स्कूल में राशि कम है तो उन प्रारंभिक स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए कम से कम दरियां खरीद कर जरूर दी जायें.

स्कूलों में कोई बच्चा ठंडे फर्श पर न बैठे

अपर मुख्य सचिव पाठक ने जिला पदाधिकारियों से कहा है कि हर हाल में सुनिश्चित किया जाये कि ठंड के दिनों में स्कूलों में कोई बच्चा ठंडे फर्श पर न बैठे . पत्र में लिखा है कि यह समूची कवायद स्कूल क्लस्टर कॉसेप्ट के तहत की जानी है. इस कवायद में माध्यमिक स्कूलों की राशि को उसी के पोषक क्षेत्र में पड़ने वाले प्रारंभिक स्कूलों में खर्च की जानी है.

माध्यमिक विद्यालयों में पड़ी हुई है 1090 करोड़ की राशि

एसीएस पाठक ने जिलाधिकारियों को कहा है कि राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में 1090 करोड़ की राशि पड़ी हुई है. वहीं, प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में फर्नीचर की कमी के कारण बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं. निरीक्षण के दौरान देखा गया है कि कई माध्यमिक विद्यालयों में जरूरत से ज्यादा फर्नीचर हैं. यही नहीं अभी भी उनके छात्र कोष में काफी राशि पड़ी है. अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद भी उनके खातों में 20-30 लाख की राशि अब भी पड़ी है. इसके ठीक विपरीत इन्हीं माध्यमिक विद्यालयों के अगल-बगल के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की स्थिति ठीक नहीं है.

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शौचालयों को फंक्शनल बनाया जाये

उन्होंने निर्देश दिये कि प्रारंभिक एवं मध्य विद्यालयों शौचालयों को फंक्शनल बनाया जाये. जहां भी जरूरी हो शौचालयों का जीर्णोद्धार कराएं. इस तरह कक्षा एक से आठ वीं तक के बच्चों को मूल भूत सुविधा देने का प्रयास किया गया है. एसीएस ने कहा है कि जुलाई, 2023 में हमारे माध्यमिक विद्यालयों में 1100 करोड़ थे. पिछले एक माह में 24 करोड़ की राशि माध्यमिक विद्यालयों ने अपने छात्र कोष और विकास कोष से खर्च करते हुए अपनी स्थिति सुधारी है.

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