पटना. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में ‘राजनीति विज्ञान की विचार’ के पाठ्यक्रम में लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डॉ राममनोहर लोहिया के विचारों को फिर शामिल किया जायेगा. उनके विचारों को संबंधित पाठ्यक्रम में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से ही पढ़ाया जायेगा.
इस बात का निर्णय राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई बैठक में लिया गया. सभी विश्वविद्यालयों के राजनीति विज्ञान में ‘राजनीति विज्ञान की विचार’ पाठ्यक्रम से लोकनायक और डॉ लोहिया के विचारों को बिना किसी ठोस वजह के हटा दिया गया था.
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस संबंध में राज्यपाल फागू चौहान से मिल कर आपत्ति जतायी थी. शिक्षा मंत्री के आग्रह पर ही राज्यपाल सह कुलाधिपति ने यह बैठक गुरुवार को बुलायी थी.
बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों और कुलपतियों ने एक राय से कहा कि जेपी और लोहिया के विचारों को हटाना गलत है. उन्हें पाठ्यक्रम में वापस लेना उचित होगा. इससे पहले राज्यपाल फागू चौहान ने जेपी और लोहिया के विचारों को पाठ्यक्रम से हटाने पर नाखुशी जाहिर की. उन्होंने इस संबंध में कई सवाल भी पूछे.
बैठक मेें यह बात सर्वसम्मति से मानी गयी कि यह पूरा मामला वैचारिक रिक्तता से जुड़ा है. बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता होती, तो यह घटनाक्रम नहीं होता. इस बीच शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बैठक में साफ किया कि जनभावना और सरकार की भावना एक ही है कि जिन दोनों महापुरुषों के विचारों को हटाया गया है, उसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये.
उन्होंने स्पष्ट किया कि पाठ्यक्रम से हटाने की कवायद किन परिस्थितियों में हुई, इस पर अब चर्चा करना बेमानी है. इस पर सभी ने सहमति दी. राज्यपाल फागू चौहान ने बैठक में कहा कि जेपी और लोहिया के विचारों का प्रभाव पूरे बिहार के जनमानस और राजनीतिक परिवेश पर है. इसलिए विश्वविद्यालयों में उनके विचारों की पढ़ाई जरूर होनी चाहिए.
उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों से कहा है कि इस संबंध में वे निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए उचित कार्रवाई करें. बैठक में कुलपतियों के अलावा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार और सचिव असंगबा चुवा आओ ने भी हिस्सा लिया.
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– सिलेबस में 20% तक बदलाव करने का विवि का अधिकार स्वीकार किया गया.
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– च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को तत्काल लागू कराने का निर्णय लिया गया. यह कवायद 2018 से लंबित है.
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– विवि व कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग पर गंभीरता से काम करने को कहा गया.
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-पाठ्यक्रमों को उपयोगी व प्रासंगिक बनाने के लिए राजभवन और राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की सहमति से प्रभावी कदम उठाये जाएं.
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– पॉलिटिकल साइंस में सीबीसीएस के जरिये भारतीय राजनीतिक चिंतकों को आगे लाया जा सकेगा. अब तक के पाठ्यक्रमों में पश्चिमी राजनीतिक विचारक ही हावी थे. इसलिए बिहार में इस सिस्टम को प्रभावी किया जाने से दूसरे भारतीय चिंतकों को पाठ्यक्रम में शामिल करने में मदद मिलेगी.
Posted by Ashish Jha