जूही स्मिता, पटना: दीघा की रहने वाली मीता (काल्पनिक नाम) ने महिला हेल्पलाइन में आवेदन देते हुए अपने एक मित्र की ओर से ब्लैकमेलिंग किये जाने की बात की. हालांकि उसने आवेदन रजिस्टर करने से मना किया और कहा कि माता-पिता को पता चला तो वह परेशानी में आ जायेगी. काउंसेलर और प्रोजेक्ट मैनेजर की ओर से दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसेलिंग की गयी. ऐसे न जाने कितने मामले हर दिन महिला हेल्पलाइन में आते हैं, जिसे काउंसेलिंग कर सुलझाया जाता है. इन मामलों में ज्यादातर पहचान वाले शामिल होते हैं. वहीं, कई मामले इस लिए उलझ जाते हैं क्योंकि आवेदिका एफआइआर ही नहीं करना चाहती हैं.
स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राएं कई बार सोशल साइट्स और वाट्सएप के जरिये ब्लैकमेलिंग की शिकार होती हैं. इन्हें ब्लैकमेल करने वाले परिचित और अपरिचित शामिल होते हैं. ऐसे न जाने कितने मामले हर साल महिला हेल्पलाइन में आते हैं, जहां लड़कियां शिकायत तो करती हैं, लेकिन मामला रजिस्टर नहीं कराती है. उनका कहना है कि ऐसे मामलों में परिवारवाले और समाज उन्हें ही दोषी मानेंगे. उनकी पढ़ाई और बाहर निकलना सब पर पाबंदी लग जायेगी. आखिर ऐसा क्यों हैं कि अभिभावक अपने बेटियों को इन मामलों में समझ नहीं सकते हैं और उन्हें दोषी करार देते हैं.
हमारे पास रोजाना फोन पर 6-7 मामले सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वाट्सएप के ब्लैकमेलिंग से जुड़ा हुआ होता है. साल भर में 500 से ज्यादा मामले आते हैं, लेकिन कुछ ही मामले रजिस्टर होते हैं. ज्यादातर मामलों में लड़कियां एफआइआर नहीं करवाना चाहती हैं और जब तक एफआइआर नहीं होगा तब तक कार्रवाई नहीं हो सकती है. परेशान करने वाला लड़का या व्यक्ति जान-पहचान का होता है, तो हमारे लिए आसान होता है और काउंसेलिंग से मामला सुलझ जाता है. हमारी ओर से तीन माह का फॉलोअप भी किया जाता है. वहीं, अनजान व्यक्ति वाले मामलों में हमें एफआइआर करने की सलाह देते हैं, जिससे आवेदिका की मदद हो सके.
Also Read: दाखिल-खारिज मामले में पटना सदर अंचल फिसड्डी, 31 दिसंबर तक कैंप लगाकर मामलों का किया जाएगा निबटारा
आजकल के बच्चों को समय से पहले फोन मिल जाता है, जिसकी वजह से वे कई बार ऐसे मामलों की शिकार हो जाते हैं. साथ ही पारिवारिक परिवेश और सामाजिक मान्यता में कोई खास बदलाव नहीं आया है. ऐसे में अभिभावकों और बच्चों के बीच खुलेपन के साथ आपसी ताल-मेल बिठाने की जरूरत है.
डॉ बिंदा सिंह, मनोचिकित्सक
Posted By: Thakur Shaktilochan