अनुराग प्रधान, पटना. पटना एजुकेशन हब बन गया है. शहर में लगभग तमाम बड़े कॉलेज, यूनिवर्सिटी मौजूद है. मुख्यत: एनआइटी, आइआइटी, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मैनेजमेंट संस्थान, निफ्ट, टेक्निकल यूनिवर्सिटी पटना में है. यहां जरूरत के अनुसार सभी कॉलेज और कोचिंग संस्थान हैं, ताकि स्टूडेंट्स को दूसरे राज्यों का रूख न करना पड़े. पटना में ही कोटा जैसे संस्थान हैं. शहर में ही रहकर इंजीनियरिंग, मेडिकल व अन्य कंपीटीशन की तैयारियां स्टूडेंट्स करते हैं. पटना के प्रमुख कोचिंग संस्थान भी कोटा को टक्कर दे रहे हैं. वह क्लास रूम, फैकल्टी और कोर्स कोटा की तरह ही करवा रहे हैं. कैंपेन भी लगातार चलता रहता है कि पटना में होगी कोटा जैसी पढ़ाई.
विभिन्न कंपीटीशन के साथ-साथ टेक्निकल और रेगुलर कोर्स के लिए पटना एक बेहतर विकल्प बन चुका है. बिहार में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी नालंदा विश्वविद्यालय है. इसके पहले भी कई नेशनल यूनिवर्सिटी बिहार में खुली. पिछले 25 सालों में बिहार काफी बदल गया. वर्ष 2005 के बाद से शिक्षा जगत में काफी बदलाव आया. वर्ष 2006 में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई. इसके बाद से बिहार में आइआइएम, आइआइटी, निफ्ट, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के साथ पिछले कुछ सालों में राज्य के विभिन्न जिलों में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज भी खुल गये हैं. मेडिकल के लिए बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई है.
इसके साथ-साथ पॉलिटेक्निक और आइटीआइ संस्थान बिहार के स्टूडेंट्स की कौशल क्षमता को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. अब बिहार के स्टूडेंट्स हमेशा बिहार के उच्च शिक्षण संस्थान को तरहीज दे रहे हैं. पहले लॉ, आइआइटी, फैशन, मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए लोग बिहार से बाहर जाते थे, लेकिन आज आइआइटी, मैनेजमेंट, फैशन, लॉ आदि उच्च शिक्षण संस्थान में बिहार के बाहर स्टूडेंट्स पढ़ने आ रहे हैं. निफ्ट पटना, सीएनएलयू, सीआइएमपी, आइआइटी पटना, एनआइटी पटना में 50 प्रतिशत से अधिक स्टूडेंट्स बिहार के बाहर के पढ़ रहे हैं. बिहार के शिक्षण संस्थान लोगों की पहली पसंद है. निफ्ट, एनआइटी पटना, आइआइटी पटना के कई गोल्ड मेडलिस्ट जो अलग-अलग राज्यों से आते हैं वह कहते हैं कि बिहार कई राज्यों से बेहतर है. अब बिहार से काफी लगाव हो गया है. शिक्षा के क्षेत्र में बिहार काफी बदल गया है.
गोल संस्थान के एमडी विपीन सिंह कहते हैं कि नेशनल लेवल की कंपीटीशन, विभिन्न एग्जाम की तैयारियों और सरकारी जॉब्स में स्टूडेंट्स की बढ़ती दिलचस्पी ने पटना को एजुकेशन हब बना दिया है. स्टूडेंट्स के बीच कोचिंग की बढ़ती अनिवार्यता को देखते हुए शहर के अलग-अलग इलाकों में अब इंस्टीट्यूट खुल गये हैं. पटना में ऐसे छोटे-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट की संख्या सात हजार को पार कर गयी है.
जाहिर तौर पर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए बिहार के स्टूडेंट्स के सामने कोटा एक विकल्प था. लेकिन ऐसी स्थिति तब तक रही जब तक पटना में गिने-चुने कोचिंग संस्थान थे. इसी वजह से स्थितियां बदल गयी हैं. स्टूडेंट्स पहले कोटा जाते थे, लेकिन अब कोटा जैसे प्रसिद्ध स्थान के टीचर्स और संस्थान पटना में जमने लगे हैं.
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बैंकिंग, रेलवे और एसएससी जैसी कंपीटीशन एग्जाम की तैयारी के लिए भी कोचिंग की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. सिविल सर्विसेज के दिल्ली के प्रसिद्ध कोचिंग को भी पटना का रुख करना पड़ा है. कोचिंग के विस्तार को बल मिला है. अन्य राज्यों से पटना के कोचिंग व अन्य शिक्षण संस्थान के फीस कम थे, इस कारण गरीब और मध्यमवर्गीय स्टूडेंट्स भी संस्थान से जुड़ने लगे. पटना में नीट और जेइइ के कई कोचिंग संस्थान देश के टॉपर देते रहे हैं. देश के अधिकांश बड़े कोचिंग संस्थानों की नजर पटना के साथ राज्य के विभिन्न जिलों पर भी है़