बिहार में निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए दायर किये गये लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह 21 फरवरी तक पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करे. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष
मामले में कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई है. इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि इन शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया थी. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए अनुशंसा और प्रस्ताव बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था. आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2018 के बाद कोई भी प्रस्ताव सरकार की ओर से इस मामले में आयोग को नहीं आया है.
2014 में निकाले गए पदों को अब तक नहीं भरा जा सका
कोर्ट ने इस बात को बहुत गंभीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है वह भी संगीत के शिक्षक हैं. जबकि उस स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2014 में निकाले गए पदों को अब तक नहीं भरा जा सका है . यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है. गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को पहले ही बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जायेगी.