पटना. बिहार में मदरसों की जांच चल रही है. जांच की रफ्तार पर पटना हाइकोर्ट की नजर है. किसी भी कीमत पर जांच रिपोर्ट समर्पित करने में देरी न हो, इसपर कोर्ट की नजर है. बुधवार को जब पटना हाईकोर्ट में बिहार के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच किये जाने से सबंधित याचिका पर सुनवाई हुई तो एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने सीतामढी जिले के मदरसों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सीआईडी को चार माह की मोहलत दी. सीआईडी को हर हाल में चार माह के अंदर कोर्ट के समक्ष जांच रिपोर्ट रखना है. इससे पूर्व कोर्ट ने बिहार के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच का आदेश राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को दिया था.
पटना हाईकोर्ट ने अल्लाउद्दीन बिस्मिल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को इनकी जांच चार माह के अंदर पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को शीघ्र राज्य के सभी डीएम के साथ बैठक कर उनके संसाधनों के बारे में जांच करने का आदेश दिया था. वहीं जांच पूरी होने तक 609 मदरसों को अनुदान राशि नहीं देने का आदेश दिया था. सरकार जांच की गति को लेकर अब तक गंभीर नहीं थी, लेकिन अब जब कोर्ट ने समय सीमा तय कर दी है तो जांच में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.
कोर्ट ने जाली कागजात पर मदरसों को दी गई मान्यता पर दर्ज प्राथमिकी पर राज्य के डीजीपी को अनुसंधान के बारे में पूरी जानकारी कोर्ट को देने का निर्देश दिया था. कोर्ट को इस सम्बन्ध में बताया गया कि बिहार की ओर से सीतामढी जिले के 88 मदरसों की जांच सीआईडी कर रही है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राशिद इजहार ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक तस्नीमुर रहमान ने सीतामढ़ी जिले के सरकारी अनुदान लेने वाले मदरसों की जांच रिपोर्ट दी थी.
रिपोर्ट में कहा गया था कि सीतामढ़ी जिला में फर्जी कागजात पर करीब 88 मदरसों ने सरकारी अनुदान ली है. कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही थी. उनका कहना था कि शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि राज्य के अन्य जिलों के 609 मदरसों जो सरकारी अनुदान प्राप्त किये हैं, उन सभी के जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. कोर्ट मामले पर चार माह के बाद फिर सुनवाई करेगी.