पटना: सीबीआइ ने पटना एम्स के दंत चिकित्सा (डेंटल) विभाग के तत्कालीन एचओडी डॉ शैलेश कुमार मुकुल के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. 2013 से 2019 के बीच जब डॉ मुकुल इस पद पर तैनात थे, तब उन्होंने निजी एजेंसियों से मिलीभगत करके अवैध रूप से पैसे का लेन-देन किया था. सीबीआइ की पटना शाखा ने मामला दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी है. इस मामले को लेकर एम्स के निदेशक डाॅ पीके सिंह की अनुशंसा पर प्रो नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने सीबीआइ से लिखित शिकायत दर्ज करायी थी. मामला जांच में सही पाये जाने के बाद एफआइआर दर्ज की गयी है. जांच पूरी होने के बाद अन्य कई दोषियों पर भी मामला दर्ज किया जा सकता है.
जांच में पाया गया कि डॉ मुकुल के स्तर पर बेंगलुरु की निजी एजेंसी मेसर्स ओस्टियो 3डी को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाने के लिए कई स्तर पर अनियमितता हुई है. वास्तविक कीमत से काफी अधिक दर पर इस एजेंसी से उन्होंने बड़ी संख्या में कई तरह से मेडिकल सामान की खरीद की थी. इससे एम्स को काफी नुकसान हुआ.
Also Read: Bihar Coronavirus, Lockdown Live Updates : बिहार में 2 प्रतिशत से कम हुआ संक्रमितों का आंकड़ा, मिले 1998 नए कोरोना मरीज…
बेंगलुरु की एजेंसी को अवैध रूप से दी गयी अतिरिक्त राशि को वह वापस सीधे नहीं लेते थे, बल्कि पटना स्थित एक फर्म मेसर्स जेजे प्रभु कृपा को ट्रांसफर की जाती थी. इसके बाद यह राशि इनके पास तक पहुंचती थी. पटना की यह एजेंसी भी निर्धारित दर से अधिक कीमत में पटना एम्स को प्लेट सप्लाइ करती थी. इस एजेंसी को भी दी गयी अतिरिक्त राशि में डॉ मुकुल को हिस्सेदारी मिलती थी.
इसके अलावा ये लोग मरीजों से प्लेट समेत अन्य सामान लगाने के लिए कैश लेते थे. ये पैसे डॉ मुकुल सीधे नहीं लेते थे, बल्कि अपने लैब सहायक की मदद से पैसे लेते थे. ओपीडी के बुकलेट पर भी इसकी इंट्री नहीं की जाती थी. इस तरह से डॉ मुकुल ने एम्स में एचओडी रहते हुए व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया है. उन्होंने इस तरह से कितने रुपये अवैध रूप से कमाये हैं, इसकी पूरी जांच अभी चल रही है. इसके बाद इन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya