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बिहार में पटना मेट्रो का निर्माण शुरू, इन 26 जगहों पर बनेगा मेट्रो स्टेशन, जानें कब तक पूरा होगा काम…

पटना: वर्ष 2019 दो फरवरी को बिहार द्वारा केंद्र को भेजे गये प्रस्ताव के 13365.77 करोड़ के खर्च की सहमति मिली. इसके बाद पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी पीएमआरसीएल का गठन किया गया. इसके बाद मेट्रो रेल निर्माण के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को डिपोजिट टर्म पर काम करने के लिए दिया गया. इसके बाद वर्ष 2019 के 25 सितंबर को पीएमआरसीएल और डीएमआरसीएल के बीच काम को लेकर एमओयू पूरा किया गया. एमओयू के बाद डीएमआरसीएल ने मेट्रो के दोनों रूटों के एलाइनमेंट में स्टेशनों की संख्या, स्थान और डीपो संबंधी कुछ संशोधन प्रस्ताव दिया. 17 मार्च, 2020 को मेट्रो के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी मिली. मंजूरी मिलने के बाद मेट्रो की लागत 13590.24 करोड़ हो गयी. अब मेट्रो की लंबाई कुल 32.497 किमी हो गयी है. इसमें 14.031 किमी ऊपर और 18.466 किमी अंडरग्राउंड लंबाई है़

पटना: वर्ष 2019 दो फरवरी को बिहार द्वारा केंद्र को भेजे गये प्रस्ताव के 13365.77 करोड़ के खर्च की सहमति मिली. इसके बाद पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी पीएमआरसीएल का गठन किया गया. इसके बाद मेट्रो रेल निर्माण के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को डिपोजिट टर्म पर काम करने के लिए दिया गया. इसके बाद वर्ष 2019 के 25 सितंबर को पीएमआरसीएल और डीएमआरसीएल के बीच काम को लेकर एमओयू पूरा किया गया. एमओयू के बाद डीएमआरसीएल ने मेट्रो के दोनों रूटों के एलाइनमेंट में स्टेशनों की संख्या, स्थान और डीपो संबंधी कुछ संशोधन प्रस्ताव दिया. 17 मार्च, 2020 को मेट्रो के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी मिली. मंजूरी मिलने के बाद मेट्रो की लागत 13590.24 करोड़ हो गयी. अब मेट्रो की लंबाई कुल 32.497 किमी हो गयी है. इसमें 14.031 किमी ऊपर और 18.466 किमी अंडरग्राउंड लंबाई है़

कॉरिडोर -1 : दानापुर से मीठापुर से खेमनीचक

इस रूट की कुल लंबाई 17.933 किमी है. इसमें 7.393 किमी ऊपर और 10.54 किमी अंडरग्राउंड मेट्रो रूट है. इस रूट में कुल 14 स्टेशन हैं. इसमें छह अंडरग्राउंड और आठ स्टेशन ऊपरगामी वाले हैं. अंडरग्राउंड स्टेशनों में रूकनपुरा, राजाबाजार, पटना जू, विकास भवन, विद्युत भवन और पटना रेलवे स्टेशन हैं, जबकि दानापुर, सगुनामोड़, आरपीएस मोड़, पाटलिपुत्र, मीठापुर, रामकृष्णा नगर, जगनपुर और खेमनी चक ऊपर वाले स्टेशन हैं.

कॉरिडोर-2 : पटना जंक्शन से गांधी मैदान होते हुए आइएसबीटी तक

इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 14.564 किमी है. इसमें 6.638 किमी ऊपर और 7.926 किमी अंडरग्राउंड मार्ग है. इस रूट में कुल 12 स्टेशन हैं. इसमें सात पटना जंक्शन, आकाशवाणी, गांधी मैदान, पीएमसीएच, पटना विवि, मोइनुल हक स्टेडियम और राजेंद्र नगर अंडरग्राउंड स्टेशन हैं, जबकि पांच मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ रोड, जीरो माइल और पाटलिपुत्र बस टर्मिनल अंडरग्राउंड स्टेशन हैं. इनमें खेमनीचक में इंटरचेंज की सुविधा रहेगी.

कितना काम हुआ पूरा

मिट्टी जांच की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. भू-तकनीकी व सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है. रास्ते में पड़ने वाले पेड़ों को काटने व उसे हटाने के लिए पर्यावरण विभाग से अनुमति मिल गयी है. इआइए और एसआइए कार्य पूरा हो चुका है. एइसीओएम लिमिटेड एवं सेस्ट्रा द्वारा मेट्रो के डिटेल डिजाइन व कंसल्टेंसी का काम काम किया जा रहा है. प्राथमिक कॉरिडोर व डिपो के कार्य को तीन वर्षों में पूरा किया जायेगा. प्राथमिक कॉरिडोर के तहत एलाइनमेंट व स्टेशन के लिए काम एनसीसी को दिया जा चुका है. प्राथमिक कॉरिडोर मलाही पकड़ी से आइएसबीटी तक 552.90 करोड़ में काम किया जाना है. इस रूट के एलाइनमेंट के लिए भू-अधिग्रहण का काम किया जा रहा है. पाटलिपुत्र बस टर्मिनल डिपो के कार्य के लिए निविदा फाइनल की जा रही है. इसकी अनुमानित लागत 172.17 करोड़ है. कॉरिडोर वन के ऊपरगामी स्टेशनों की निविदा जारी है. इसकी अनुमानित लागत 527.62 करोड़ है. कॉरिडोर वन के भूमिगत स्टेशनों की निविदा अभी जारी की जानी है. कॉरिडोर टू के भूमिगत स्टेशनों की निविदा जारी की जा चुकी है. इसकी अनुमानित लागत 1958.81 करोड़ है. सभी रूटों पर सरकारी भूमि के हस्तांतरण का काम किया जा रहा है. विद्युत कार्यों के लिए भी निविदा जारी की जा चुकी है.

इस महीने के अंत तक पूरे हो जायेंगे मेट्रो के प्रायोरिटी रूट के जरूरी कार्य

पटना मेट्रो के कार्यारंभ होने के साथ सभी कार्यों को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित कर दी गयी है. मेट्रो के प्रायोरिटी रूट मलाही पकड़ी से आइएसबीटी के कार्य को तीन वर्षों में ही पूरा किया जाना है. मंगलवार को नगर विकास व आवाास विभाग की ओर से बताया गया कि इस रूट के एलाइमेंट यूटिलिटी कार्य 30 सितंबर तक पूरे कर लिये जायेंगे. यूटिलिटी वर्क का मतलब है कि इस रूट पर निर्माण शुरू होने से पहले विभिन्न अवरोध, अंडरग्राउंड पाइलिंग में आने वाली बाधा, रूट के सामाजिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से पड़ने वाले प्रभाव आदि की गणना कर ली जायेगी. गौरतलब है कि मेट्रो की पूरी लागत 13590.24 करोड़ रुपये है. इसमें 20 फीसदी राशि राज्य व 20 फीसदी राशि केंद्र सरकार की ओर दी जानी है, जबकि शेष 60 फीसदी की राशि जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) से कर्ज के रूप में लिया जाना है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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