पटना नगर निगम को आज आप जिस स्वरूप में देख रहे हैं, उसका पहले पटना म्युनिसिपैलिटी नाम था. इसकी बुनियाद अंग्रेजी हुकूमत के दौरान दो नवंबर, 1864 को रखी गयी थी. जब पटना म्युनिसिपैलिटी कायम हुई, तो इसका इलाका पटना सिटी तक ही सीमित था. उस समय बंगाल के साथ बिहार जुड़ा हुआ था. पटना राजधानी नहीं थी.
वर्ष 1912 में जब बिहार एक अलग राज्य बना, तो इसकी राजधानी पटना बनायी गयी. इसके बाद शहर का विस्तार भी तेजी से होने लगा. पश्चिमी पटना का विकास और विस्तार इस इलाके में सरकारी दफ्तरों के खुलने के बाद हुआ. नागरिक प्रशासन का जिम्मा पटना एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट (1917 में) तहत हुआ. इससे पहले वर्ष 1916 में पटना म्युनिसिपैलिटी का नाम पटना सिटी म्युनिसिपैलिटी रखा गया. बाद में पटना के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के मकसद से 15 अगस्त, 1952 को पटना म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट के तहत पटना नगर नियम कायम हुआ. पटना वाटर वर्क्स कमेटी इसी तारीख से पटना वाटर बोर्ड के नाम से वजूद में आयी.
मौजूदा पटना नगर निगम की तवारीख के पिछले पन्नों पर गौर करें, तो म्युनिसिपैलिटी बनने के बाद बहुत दिन तक इसके चेयरमैन पटना के डीएम होते थे. सिर्फ वाइस चेयरमैन के ओहदे पर ही गैर सरकारी लोग होते थे. खान बहादुर खुदाबख्श खां इसके पहले चेयरमैन थे. सन 1884 में खान बहादुर एस फजल इमाम पहले निर्वाचित वाइस चेयरमैन हुए थे. खान बहादुर सैयद मुहम्मद इस्माइल पहले शख्स थे, जो सन 1921 की फरवरी में म्युनिसिपैलिटी के गैर सरकारी चेयरमैन बनाये गये थे. सन 1922 में वह ही पहले चुनाव के जरिये चेयरमैन बने.
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1864 से 1921 तक : पटना के विभिन्न जिलाधिकारी (पदेन)
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1917 से 1918 तक : खान बहादुर सैय्यद मु. इस्माइल (कार्यकारी)
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1921 से 1922 तक : खान बहादुर सैय्यद मु. इस्माइल (नियुक्त अध्यक्ष)
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1922 से 1924 तक : खान बहादुर मु. इस्माइल (नियुक्त अध्यक्ष)
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1924 से 1925 तक : डॉ राजेंद्र प्रसाद (नियुक्त अध्यक्ष)
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1928 से 1930 तक : श्याम नारायण सिंह शर्मा (नियुक्त अध्यक्ष)
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1931 से 1933 तक : खान बहादुर मोहम्मद हामिद (अतिक्रमण काल)
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1934 से 1936 तक : खान बहादुर मोहम्मद हामिद (अतिक्रमण काल)
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1934 से 1936 तक : अतिरिक्त जिलाधिकारी (अतिक्रमण काल)
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1936 से 1941 तक : नवाबजादा सैयद मुहम्मद मेंहदी रिजवी (पुन: अध्यक्ष)
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1941 से 1944 तक : रायसाहब श्रीनारायण अरोड़ा (पुन: अध्यक्ष)
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1944 से 1947 तक : राय साहब एनएन गांगुली (विशेष पदाधिकारी)
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1947 : रणछोड़ प्रसाद (विशेष पदाधिकारी)
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1947 से 1949 तक : रामचंद्र सिन्हा (विशेष पदाधिकारी)
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1949 से 1950 तक : भुवनेश्वर प्रसाद (विशेष पदाधिकारी)
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1950 से 1952 तक : रामनाथ पांडेय (विशेष पदाधिकारी)