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PMCH में तीन साल पहले खरीदी गयी थीं 30 डायलिसिस मशीनें, चलाने के लिए विशेषज्ञ ही नहीं

नयी व पुरानी मिलाकर यहां करीब 37 डायलिसिस मशीनें हैं. इनमें 22 मशीनों से जैसे-तैसे काम लिया जा रहा है, लेकिन 15 बंद हैं. वहीं बताया जा रहा है कि इनमें पुरानी छह मशीनों का टर्म पूरा हो गया था, इसलिए विभाग ने नयी मशीनें खरीदी थीं.

बिहार की राजधानी पटना के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में किडनी मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. शहर के एनएमसीएच, पटना एम्स, पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और गार्डिनर रोड अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने डायलिसिस की सुविधा बहाल की है. लेकिन इन सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को वेटिंग दी जा रही है. इसी क्रम में तीन साल पहले पीएमसीएच ने अपने नेफ्रोलॉजी विभाग के लिए 30 नयी डायलिसिस मशीनें खरीदी थीं. लेकिन इतनी मशीनों को चलाने के लिए जितने विशेषज्ञ की जरूरत होगी, वे नहीं हैं.

आठ सीनियर रेजिडेंट के पद स्वीकृत हैं

विभाग में लगभग आठ सीनियर रेजिडेंट के पद स्वीकृत हैं. लेकिन अभी बहाली नहीं हो पायी है. इसके अलावा पारा मेडिकल व टेक्नीशियन के पदों पर भी अभी तक बहाली नहीं हो पायी है. हालांकि विभाग का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है, इनमें संबंधित पदों पर भी बहाली कर ली जायेगी.

मैन पावर की कमी के कारण किडनी के मरीजों का इलाज नहीं हो पाता

पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ यशवंत सिंह ने बताया कि अस्पताल में पीएमसीएच में हर दिन 50 से 60 किडनी के मरीज डायलिसिस के लिए आते हैं. मेरे ही कार्यकाल में 30 मशीनें खरीदी गयी थी. इसके बढ़ जाने से राज्य के कोने-कोने से आने वाले मरीजों को बड़ी राहत मिल रही थी. लेकिन मैन पावर की कमी होने के कारण समय पर किडनी के मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. 30 मरीजों की डायलिसिस होने के बाद डायसेफ की मदद से मशीन को फिर से ठीक किया जाता है. एक मरीज की डायलिसिस में लगभग छह घंटे का समय लगता है.

37 डायलिसिस मशीनें हैं

नयी व पुरानी मिलाकर यहां करीब 37 डायलिसिस मशीनें हैं. इनमें 22 मशीनों से जैसे-तैसे काम लिया जा रहा है, लेकिन 15 बंद हैं. वहीं बताया जा रहा है कि इनमें पुरानी छह मशीनों का टर्म पूरा हो गया था, इसलिए विभाग ने नयी मशीनें खरीदी थीं. मशीन की संख्या कम होने के कारण डायलिसिस कराने वाले मरीजों की प्रतीक्षा सूची बढ़ती जा रही है. वहीं सूत्रों की मानें, तो एक डायसेफ की कीमत दो हजार रुपये होती है. लेकिन डायसेफ नहीं होने के कारण कुछ मशीनें काम नहीं कर रही हैं.

एसआर और पारा मेडिकल स्टाफ की जरूरत

जानकारों का कहना है कि पीएमसीएच में मशीनों से डायलिसिस की सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग को कम से कम आठ सीनियर रेजिडेंट भी बहाल करने की जरूरत है. इसके अलावा कम से कम 40 पारा मेडिकल स्टाफ चाहिए, तभी यह यूनिट बेहतर तरीके से काम कर सकती है. इसके अलावा कम से कम 12 टेक्नीशियन भी होने चाहिए, जबकि वर्तमान में मात्र पांच ही टेक्नीशियन के भरोसे इलाज चल रहा है.

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क्या कहते हैं अस्पताल के उपाधीक्षक

वहीं पीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ एके झा ने कहा कि जितने भी पद खाली हैं उन पर बहाली के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा जा चुका है. हालांकि अब बहाली की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. उम्मीद है कि जल्द ही मैन पावर की कमी को पूरा कर लिया जायेगा.

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