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बिहार के नर्सिंग कैडर में बदलाव की तैयारी, स्टाफ नर्स होंगी नर्सिंग ऑफिसर, प्राथमिक इलाज का मिलेगा अधिकार

कैबिनेट ने एक दिन पहले ही स्टाफ नर्स ग्रेड ए के पद को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब स्टाफ नर्स के पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति नहीं की जायेगी. स्वास्थ्य सेवा में एएनएम और जीएनएम कोर्स के साथ उच्चतर स्तर पर बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई होती है.

पटना. बिहार में इलाज की वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग कैडर में व्यापक बदलाव करने जा रहा है. इसके तहत स्वास्थ्य सेवा की महत्वपूर्ण अंग नर्सों की सेवा और पदनाम को लेकर कई बदलाव होंगे. स्टाफ ग्रेड ए नर्स के पद को अपग्रेड कर इसका पदनाम नर्सिंग ऑफिसर किया जायेगा. इन को इलाज करने का कुछ अधिकार भी मिलेगा. इस से ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सकों के नहीं रहने पर वह अपने स्वविवेक से मरीज का प्रारंभिक इलाज कर उन्हें रेफर कर सकती हैं.

छह माह का प्रशिक्षण देकर दिया जाएगा सीएचओ का दर्जा

इसी प्रकार से बीएससी कोर्स करने वाली नर्सों को छह माह का अतिरिक्त प्रशिक्षण देकर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) का दर्जा मिलेगा. राज्य में सीएचओ को अपग्रेड करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली तकलीफ में एएनएम को कुछ चिकित्सीय परामर्श देते हुए रेफर करने के अधिकार पर भी विचार किया जा रहा है.

कैबिनेट ने स्टाफ नर्स ग्रेड ए के पद को समाप्त करने की दी मंजूरी

मालूम हो कि कैबिनेट ने एक दिन पहले ही स्टाफ नर्स ग्रेड ए के पद को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब स्टाफ नर्स के पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति नहीं की जायेगी. स्वास्थ्य सेवा में एएनएम और जीएनएम कोर्स के साथ उच्चतर स्तर पर बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई होती है. एएनएम को नर्स बी ग्रेड कहा जाता है, जबकि जीएनएम कोर्स करने वाली नर्सों को स्टाफ नर्स कहा जाता है. नर्सिंग सेवा में काम करने वाली कर्मियों को अब तक चिकित्सकों द्वारा दवाओं के मिले परामर्श का पालन करना होता है. फिलहाल वह अपने स्वविवेक से मरीज को किसी भी हालत में दवा देकर प्राथमिक इलाज भी नहीं कर सकती हैं.

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