पटना सहित पूरे बिहार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में निजी अस्पतालों ने मरीजों के इलाज का मनमाना बिल वसूला है. राज्य सरकार की ओर से निजी अस्पतालों में इलाज की दर तय होने के बावजूद निजी अस्पताल के संचालकों ने तीन से चार गुना अधिक का बिल वसूला. प्रभात खबर को लगातार इसकी शिकायतें मिल रही हैं. शनिवार को भी काफी संख्या में मरीज व उनके परिजनों ने फोन कर अपनी पीड़ा साझा की.
दरभंगा जिले के बहेरा थाना अली नगर ब्लॉक क्षेत्र के निवासी कृष्णा कुमार झा की मां 61 वर्षीया जीबक्षी देवी को दरभंगा शहर में संचालित स्वामी विवेकानंद कैंसर मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. पेशे से शिक्षक कृष्णा कुमार झा ने बताया कि तबीयत खराब होने के बाद बीते 11 मई को उनकी मां को भर्ती कराया गया, जबकि 19 मई को ही उनकी मां की मौत हो गयी. उनकी मां की जब सिटी स्कैन जांच करायी गयी तो उसमें कोरोना पॉजिटिव बताया गया. करीब आठ दिन में इलाज के दौरान कृष्णा को सवा तीन लाख रुपये से अधिक खर्च हो गये. इनमें वह करीब 50 हजार रुपये की बाहर से रेमडेसिविर इंजेक्शन आदि दवाएं खुद लाये, जबकि पौने तीन लाख रुपये हॉस्पिटल वालों ने बिल देकर वसूल लिये. जीबाक्षी देवी को मुश्किल से तीन दिन ही आइसीयू में भर्ती किया गया था. बाकी वह जनरल व दूसरे वार्ड में भर्ती थी. बावजूद उनसे प्रतिदिन आइसीयू का चार्ज, दवा आदि तय दर से तीन से चार गुना अधिक रुपये वसूल लिये गये.
मसौढ़ी थाना क्षेत्र के भौरवा गांव के निवासी नागेश्वर कुमार को कोविड होने के बाद बीते 24 अप्रैल को परिजनों ने शहर के सरकारी अस्पतालों का चक्कर लगाया. जब बेड नहीं मिला तो बाइपास स्थित पाटलिपुत्रा मल्टी पल्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया. नागेश्वर का कहना है कि हॉस्पिटल में वे न वेंटिलेटर पर थे और न ही आइसीयू में. केवल ऑक्सीजन बेड देकर अस्पताल ने तीन दिन में ढाइ लाख रुपये का बिल बना दिया. पीपीइ किट सैनेटाइजर के हर दिन तीन हजार रुपये और दवाओं के अलग से रुपये वसूले गये, जिनमें न तो रेमडेसिविर इंजेक्शन था, न ही अन्य कोई महंगी दवाएं. बड़ी बात तो यह है कि जब परिजनों ने सरकारी रेट का हवाला दिया तो हॉस्पिटल के कर्मचारी पहुंच गये और मारपीट करने लगे. करीब दो घंटे तक हंगामा होते रहा. परिजनों ने नजदीकी थाने को फोन लगाया, लेकिन मौके पर कोई भी नहीं पहुंचा. अंत में जब कोई विकल्प नहीं होने के कारण रुपये देना पड़ा. नागेश्वर की मानें तो वह 26 को डिस्चार्ज करने बावजूद दो मई तक का बिल जोड़ कर बनाया गया है.
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सगुना मोड़ स्थित एक चर्चित निजी अस्पताल में 30 अप्रैल को सुनैना देवी के बेटे रोशन कुमार ने बताया कि आर्मी हॉस्पीटल से उनकी मां को संबंधित अस्पताल में रेफर किया गया था. उनकी मां को पांच दिन से ऑक्सीजन बेड पर रखा , मगर अस्पताल ने ऑक्सीजन व वेंटिलेटर बेड की फीस 60 हजार वसूले. पांच दिन में साढ़े तीन लाख रुपये बेड, दवाएं और जांच पर खर्च हो गये. इसी तरह रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन विजय कुमार सिंह ने 24 मई को जिला प्रशासन कार्यालय व धावा दल को शिकायत की है कि अस्पताल की ओर से 20 घंटे के इलाज के एवज में 1.15 लाख रुपये वसूले गये.
पाटलिपुत्रा मल्टी पल्स हॉस्पिटल के संचालक से संपर्क करने की कोशिश की गयी तो वहां के रिसेप्शन काउंटर पर रूमा नाम की एक कर्मचारी ने फोन उठाया. रूमा का कहना कि मरीज कोरोना पॉजिटिव था. सात दिन का बिल 2 लाख 17 हजार रुपये का बनाया गया है. मारपीट करने का आरोप गलत है.
कोरोना इलाज की तय दर के बाद जिन निजी अस्पतालों ने मरीजों के साथ मनमाना रुपये वसूले हैं, उनको नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण पूछा जा रहा है. बहुत सारे निजी हॉस्पिटलों ने स्पष्टीकरण भेजा है, जिसकी जांच करायी जा रही है. कुछ अस्पतालों ने स्पष्टीकरण नहीं भेजा है. वहीं, जिन मरीजों से जबरन रुपये वसूले गये हैं, वह शिकायत करें, जरूर कार्रवाई की जायेगी.
डॉ विभा कुमारी, सिविल सर्जन, पटना
POSTED BY: Thakur Shaktilochan