पटना: कोरोना मरीज निजी अस्पतालों की मनमर्जी का शिकार हो रहे हैं. मरीजों के परिजन को बुखार की दवा, विटामिन सप्लीमेंट और पीपीइ किट के नाम पर मोटा बिल थमाया जा रहा है. मरीज भर्ती करने से पहले एडवांस में पैसे लिए जा रहे हैं और डिस्चार्ज या मौत के बाद न्यूनतम पांच से दस लाख रुपये का बिल थमाया जा रहा है.
इस तरह का मामला गुरुवार को पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के चित्रगुप्त नगर योगीपुर के पास एक निजी अस्पताल का रहा. यहां 65 वर्षीय बिरेंद्र भगत नाम के मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जम कर हंगामा किया. मरीज सारण (छपरा) जिले के दिघवारा ब्लॉक के रहने वाले हैं और रिटायर रेलवे कर्मचारी थे. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की ओर से कोरोना इलाज के नाम पर 10 लाख रुपये की बिल थमाया गया.
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मृतक के बेटे विपल्व भगत ने आरोप लगाते हुए कहा कि भर्ती के बाद इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही थी. समय-समय पर रुपये की मांग की जा रही थी. मरीज की मौत के बाद 10 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया. वहीं, जब रेट कम कराने की बात कही गयी तो अस्पताल के कर्मी नाराज हो गये. शव मांगने गये परिजनों को बंधक बना लिया और शव को भी कब्जे में ले लिया गया.
नाराज परिजनों ने पटना में रहने वाले अपने रिश्तेदार व साथियों को फोन किये. इसके बाद तीन दर्जन से अधिक की संख्या में पहुंचे मृतक के रिश्तेदारों ने हंगामा किया. मौत की सूचना के बाद अस्पताल पहुंची दरियापुर की पूर्व ब्लॉक प्रमुख रीना यादव ने डॉक्टर व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. परिजनों ने कहा कि जिला प्रशासन मामले की जांच करे. अगर मामले में गड़बड़ी दिखे तो जेडीएम अस्पताल की तरह कार्रवाई करे़.
अस्पताल अधिकारी डॉ गौतम गांधी ने कहा कि मरीज की हालत पहले से ही गंभीर थी. कोरोना के साथ वायरल निमोनिया भी था. इस केस में पांच दिन भी मरीज नहीं बच पाता है, जबकि हमने 25 दिन तक मरीज को बचाये रखा. मृतक के एक परिजन ने नेतागिरी चमकाने के लिए अस्पताल में तोड़फोड़ की. रुपये मांगने पर कर्मचारियों के साथ बाहरी लोग बुलाकर मारपीट की.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya