सुमित कुमार, पटना. बिहार के जेल (कारा) औद्योगिक हब के रूप में विकसित होंगे. गृह विभाग ने इनमें बंद कैदियों की ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल करने के लिए उनको जेल परिसर में ही चलाये जाने वाले विभिन्न लघु उद्योगों से जोड़ दिया है. यह कैदी जेल में सरसों तेल, मसाला पाउडर, वूडेन डेकोरेटिव आइडटम, जूट से बनी सामग्रियों व डिजाइनर ड्रेस आदि का उत्पादन करेंगे. इनको खुले बाजार में ‘ मुक्ति ‘ ब्रांड के नाम से बेचा जायेगा. इससे कैदियों के नकारात्मक कार्यों पर रोक लगेगी ही, उनकी कार्यकुशलता और आय भी बढ़ेगी. जेलों में तैयार होने वाली इन सामग्रियों को बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करते हुए गृह विभाग के कारा निदेशालय ने दो अक्तूबर को राजधानी में वृहद प्रदर्शनी लगाने का निर्णय लिया है.
बाजार को कड़ी टक्कर देंगे जेल में बने उत्पाद
कारा प्रशासन का दावा है कि जेलों में बने उत्पाद बाजार को कड़ी टक्कर देंगे. इसकी प्रमुख वजह है कि सामान्य उत्पादकों को अपने प्रोडक्ट के मूल्य में उसकी वास्तविक लागत के साथ ही जगह का किराया, बिजली बिल आदि भी जोड़ना पड़ता है. जबकि जेल में बने उत्पादों को इससे छूट दी जायेगी. लागत कम होने से डिमांड बढ़ेगी.
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पहले जेलों तक ही सीमित थे उत्पाद, अब बढ़ेगा दायरा
कारा प्रशासन के मुताबिक कुछ जेलों में पहले भी उत्पादन हो रहा था, लेकिन उसकी खपत का दायरा सीमित था. भागलपुर के प्रिंटिंग प्रेस में फाइल का इस्तेमाल सभी काराओं में होता है. बक्सर जेल का लेडिज बैग मार्केट में जाता था. शेष जेलों में उत्पादित होने वाली सामग्रियों की खपत सबंधित परिसर या दूसरी जेलों तक ही हो पाती थी. 2018-19 के बाद धीरे-धीरे यह बंद होते चले गये. अब पुन: चालू करते हुए इनका दायरा बढ़ाया जा रहा है. पहले चरण में दस महत्वपूर्ण जेलों में उत्पादन की व्यवस्था होगी. इसके लिए आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था जल्द ही कर ली जायेगी.
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क्या होगा फायदा
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– कैदियों की ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग होगा
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– उनकी कार्यकुशलता व आय बढ़ेगी
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– जेल से छूटने के बाद कुशल श्रमिक के रूप में स्वरोजगार या रोजगार के लिए प्रेरित होंगे
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– जेल में आवश्यक सामग्रियों का उत्पाद जेल में ही होने से जेल प्रशासन का खर्च बचेगा, साथ ही उनकी आय भी बढ़ेगी.
किन जेलों में किन सामग्रियों का होगा उत्पादन
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1. आदर्श केंद्रीय कारा, बेऊर : सरसो तेल, चना सत्तु, जीरा, गोलकी, धनिया, मिर्च व हल्दी पाउडर, स्लाइस ब्रेड
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2. मुजफ्फरपुर : सरसो तेल, मसाला पाउडर, लकड़ी के फ्लवार पॉट, फोल्डिंग स्टूल, चेयर और डिजाइनर ड्रेस
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3. गया : डिजाइनर ड्रेस, कुर्ता पायजमा, गमछा, चादर, फिनाइल और कास्टिंग साबुन
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4. भागलपुर : सरसो तेल, मसाला पाउडर
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5. पूर्णिया : सरसो तेल, चना सत्तु, मसाला पाउडर
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6. भागलपुर : प्रिंटिंग प्रेस, नोटपैड, चप्पल, आर्गेनिक कंपोस्ट, कुर्ता-पायजमा, हर्बल टी
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7. फुलवारीशरीफ : फेस मास्क, गमछा, चादर, कुर्ता पायजमा, फिनाइल, कास्टिंग सोप, हैंडवॉश, मच्छरदानी, हैंडलूम साड़ी, एसिड, बाथ सोप
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8. छपरा : चादर, गमछा, कुर्ता पायजमा
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9. बक्सर : वूलेन शॉल, टॉवेल, बेडशीट, लकड़ी का पालना, चकला-बेलना
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10. मोतिहारी : लेडिज शोल्डर बैग, लेडिज पर्स, लैपटॉप बैग, जूट का फाइल फोल्डर, पिलो कवर, रूमाल, जूट का बैग, शेविंग किट, फ्लावर स्टैंड, रोटी केस, बल्ब होल्डर, झूमर आदि
मछली का अंचार, फ्राइड फीस जल्द आयेगा बाजार में
एक अन्य सूचना के अनुसार पशु व मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से एक नयी पहल शुरू की जा रही है. विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि ग्राहकों को जिंदा व ताजी मछली के साथ मछुआरों को मछली का बेहतर दाम दिलाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है. मछली के रेडी टू इट एंड रेडी टू कुक उत्पाद लाने की तैयारी की जा रही है. इस कार्य में महिलाओं की सहभागिता अधिक होती है. इससे महिलाओं के लिए भी रोजगार सृजित होगा. बिहार में मछली उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है. वे विभाग की ओर से बामेती में मंगलवार को बिहार में मत्स्य निर्यात, मूल्यवर्द्धन तथा विपणन की संभावनाएं विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं.
मत्स्य विभाग के सहयोग से बाजार में लाने की तैयारी
चर्चा के दौरान मत्स्य विभाग के सहयोग से मछली का आचार, मोमो, रोल व फ्राइड मछली बाजार में लाने की बात कही गयी. मत्स्य निदेशक निशात अहमद ने कहा कि मछुआरों व मछली पालकों को प्रसंस्करण, मूल्यवर्द्धन तथा मनोरंजक मात्स्यिकी से लाभ होगा. रोजगार की नयी संभावनाएं विकसित होंगी. संयुक्त मत्स्य निदेशक दिलीप कुमार सिंह, उप निबंधक सुभादिप मैती, टुरिज्म मैनेजर सुराजित मित्रा, सहायक प्राध्यापक अनिरूद्ध कुमार, उप मत्स्य निदेशक विपिन कुमार आदि ने संबोधित किया. संचालन मत्स्य प्रसार पदाधिकारी मोना हल्दकार व धन्यवाद ज्ञापन उप मत्स्य निदेशक पवन कुमार पासवान ने किया.