बिहार में शिक्षक नियुक्ति के लिए जारी नयी नियमावली का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. नियमावली के विरोध में विभिन्न शिक्षक संगठनों ने शुक्रवार से गर्दनीबाग में धरना शुरु कर दिया. शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों ने कहा कि अंबेडकर जयंती के अवसर पर आंदोलन की शुरुआत हो गयी है. 16 अप्रैल को सभी संगठन एक साठ बैठक करके आंदोलन की रूप-रेखा तैयार करेंगे. इसके बाद से 17 अप्रैल से सड़कों पर आंदोलन होगा.
वहीं, संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने सरकार को 24 घंटे में नियमावली में संशोधन की मांग की थी. संशोधन नहीं होने पर जाति गणना के बहिष्कार का फैसला शिक्षक संगठनों ने लिया है. इसके साथ 15 अप्रैल को पालीगंज विधायक डॉ संदीप सौरभ ने शिक्षक नियमावली 2023 को लेकर उत्पन्न विवाद को लेकर सभी नियोजित शिक्षक संगठनों एवं अभ्यर्थी संगठनों की एक बैठक बुलायी है.
बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने बताया कि रविवार से शिक्षक अभ्यर्थी घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करेंगे. उन्होंने बताया कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री के आवास पर डेरा डालेंगे. प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नितेश पांडेय ने कहा कि चार वर्षों से तमाम जरूरी योग्यता के बावजूद शिक्षक अभ्यर्थी सड़क पर हैं. अब नयी नियमावली के बहाने शिक्षा विभाग शिक्षकों की बहाली और लटकाना चाह रही है. संयोजक कुमार सत्यम ने बताया कि नयी नियमावली से सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों को मुक्त रखा जाये. चार सालों से सीटेट, बीटेट, एसटीइटी पास शिक्षक अभ्यर्थी बहाली का इंतजार कर रहे थे, कई बार बड़े आंदोलन भी इन अभ्यर्थियों ने किए. शिक्षक अभ्यर्थियों को अब बिहार में शिक्षक बनने के लिए एक और परीक्षा देनी पड़ेगी.
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टीइटी शिक्षक संघ ने कहा कि शिक्षा मंत्री का बयान हास्यास्पद है. बयान देने के बदले सभी शिक्षक संघों से बुलाकर बैठक करना चाहिए. नियमावली के आपत्तियों पर बात होनी चाहिए. मामला सुलझने के बदले संघों और सरकार के बीच और कटुता बढ़ेगी. इससे आने वाले समय में जातीय जनगणना सहित विद्यालयों में पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है. सभी संघों की संयुक्त बैठक बुलाकर उनकी आपत्तियां ली जाये. वर्तमान नियमावली पर और उन पर सकारात्मक रूप से विचार करते हुए उन आपत्तियों को दूर किया जाना चाहिए.