पटना : समाजवादी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह नहीं रहे. रविवार की सुबह दिल्ली एम्स में करीब 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक प्रख्यात समाजवादी नेता थे. वे स्व. कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे. उन्होंने चार बार वैशाली से लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अत्यंत सराहनीय रहा. वे जमीन से जुड़े राजनेता थे. उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से दुःख पहुंचा है. उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक, शिक्षा तथा समाजवाद के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.
डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन का समाचार मिलते ही मुख्यमंत्री ने उनके सुपुत्र सत्यप्रकाश सिंह से दूरभाष पर बात कर उन्हें सांत्वना दी. मुख्यमंत्री ने स्थानिक आयुक्त एवं अधिकारियों को निर्देश दिया है कि स्व. सिंह के परिजनों से संपर्क कर उनके पार्थिव शरीर को उनकी इच्छा के अनुरूप पटना लाने तथा राज्य सरकार की ओर से उनके अंतिम संस्कार के लिये सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें. कोविड काल के लिये वर्तमान में लागू दिशा-निर्देश के तहत निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुरूप राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा है, डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन बिहार के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति है. उन्होंने सिद्धांत की राजनीति की, राजनीति के लिए सिद्धांत नहीं छोड़ा. वे परिवारवाद, भ्रष्टाचार और मूल्यहीनता के विरुद्ध अपनों से लड़े और जीवन की आखिरी सांस तक योद्धा रहे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें.
पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह के असामयिक निधन के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सभी कार्यक्रमों को तत्काल स्थगित कर पार्टी का झंडा झुका दिया गया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सात दिनों तक शोक मनाने की घोषणा की है. पार्टी का झंडा सात दिनों तक झुका रहेगा. उनके द्वारा पार्टी के सभी कार्यालयों को तीन दिनों तक बंद रखे जायेंगे.
74 वर्षीय रघुवंश प्रसाद सिंह करीब तीन माह से बीमार चल रहे थे. तीन माह पहले कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें पटना एम्स और बाद में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. कोरोना से ठीक होने के बाद भी वे खांसी से पीड़ित थे. पिछले तीन दिन से उनकी खांसी चरम पर पहुंच जाने से उन्हें पटना एम्स में ही आइसीयू ले जाया गया था. हाल ही में उन्होंने एम्स से ही चिठ्ठी लिखकर आरजेडी से त्यागपत्र दे दिया था.
दिल्ली एम्स के आइसीयू से 10 सितंबर को सिग्नेचर शैली में हिंदी में लिखी आधा दर्जन से अधिक चिठ्ठियों ने जहां राजद आलाकमान को हैरत में और पार्टी कार्यकर्ताओं को चिंता में डाल दिया था. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री को लिखी चिठ्ठियां उनकी वैचारिक संजीदगी का प्रतीक मानी गयी हैं.
जीवन भर समाजवादी मूल्यों के पैरोकार के रूप में विख्यात रहे रघुवंश प्रसाद के निधन से सियासी गलियारे में शोक की लहर है. देश के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष सभी खेमे के नेताओं ने रघुवंश प्रसाद के निधन को देश के लिए बड़ी और न पूरी होने वाली क्षति बताया है. उल्लेखनीय है कि 18 जून को कोरोना संक्रमित होने के बाद दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह पटना एम्स में भर्ती कराये गये थे. तब उन्होंने पटना एम्स से ही 23 जून को पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. एक जुलाई को उन्हें पटना एम्स से छुट्टी मिल गयी थी.
दिवंगत रघुवंश 1977 में पहली बार विधायक बने थे. 5 बार वैशाली संसदीय सीट से सांसद चुने गये इस समाजवादी नेता ने केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने पूरे देश में मनरेगा योजना को धरातल पर उतारने मेें अहम भूमिका निभायी. वे संप्रग सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रिय पात्र रहे .संजय बारू की किताब ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर- द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ इस बात का जिक्र भी किया है. मनमोहन सिंह मनरेगा के संबंध में उनकी विलक्षण समझ के चलते उन्हें पसंद करते थे. देश में उनकी उनकी पहचान खांटी समाजवादी नेता के रूप में रही. वे कार्यकर्ताओं के पक्षधर और सीटों के खरीद फरोख्त के खिलाफ रहे. इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे. वे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के राजनीतिक संकट मोचक माने जाते थे.
Upload By Samir Kumar