पटना. राज्यसभा की बिहार से खाली हो रही पांच सीटों के लिए अधिसूचना जारी होते ही भाजपा, जदयू और राजद में कयासबाजी तेज हो गयी है. जदयू में जहां उम्मीदवार चयन का काम समय पर होने की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कही है. वहीं भाजपा में 28 और 29 मई को दिल्ली में होने वाली पार्टी की उच्चस्तरीय बैठक में अंतिम निर्णय लिये जायेंगे. राजद के भीतर पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को अधिकृत कर दिया है. उम्मीदवारों के चयन को लेकर लालू ही अंतिम फैसला लेंगे. 10 जून को होने वाले चुनाव को लेकर मंगलवार से नामांकन का कार्य शुरू हो गया है.
31 मई तक परचा दाखिल करने की अंतिम तिथि है. इस चुनाव में 16 सदस्यों वाली वाम दलों ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला है. जबकि 19 विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस की नजरें आलाकमान की ओर टिकी है. राज्यसभा चुनाव में विधायकों की संख्या के आधार पर राजद और भाजपा दो-दो सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकेगी. जबकि जदयू के कोटे में एक सीट आयेगी. जदयू में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त हो रहा है.इस चुनाव में राजद को एक सीट का फायदा होने वाला है. भाजपा की दो सीटें खाली हो रही है. भाजपा को अपने दोनों उम्मीदवारों को राज्यसभा में भेजने के लिए प्रथम वरीयता के कम से कम 82 मतों की जरूरत होगी.
पार्टी के पास 78 विधायक हैं. अपनी दोनों सीटें निकालने के लिए उसे जदयू के अतिरिक्त या हम के चार मतों की जरूरत होगी. जदयू को एक सीट पर जीत के लिए जरूरत से अधिक मत हैं. उम्मीदवार को जीत दर्ज कराने के बाद भी चार अतिरिक्त वोट बच जायेंगे. राजद को दोनों उम्मीदवारों के लिए सहयोगी कांग्रेस और वाम दलों का सहयोग लेना पड़ेगा. विधानसभा में राजद के 75 विधायक है. ऐसे में उसे जीत के लिए सात अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी.
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राज्यसभा की पांच सीटों के लिए हो रहे मतदान को लेकर कांग्रेस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. बिहार में विधायक आलाकमान के निर्णय को लेकर वाच एंड वेट कर रहे हैं. विधायक दल के नेता अजीत कुमार शर्मा ने बताया कि बिहार में पार्टी किस दल के प्रत्याशी को मतदान करने का निर्णय लेती है या वह स्वयं दूसरे दलों के सहयोग से प्रत्याशी उतारती है, इसको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर फैसला किया जाना है.