पटना. छोटे-छोटे मसलों को लेकर लंबे समय तक कोर्ट कचहरी में चलने वाले प्रॉपर्टी के झगड़ों को कोर्ट से बाहर निबटाने के लिए बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) ने बड़ी पहल की है. इसके तहत सुलह और विवाद समाधान प्रकोष्ठ (बीसीडीआरसी) का गठन किया जा रहा है. फिलहाल महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में ही यह सुविधा उपलब्ध है. इसके माध्यम से ग्राहकों-बिल्डरों को कोर्ट में केस करने से पहले विवाद निबटाने का मंच दिया जायेगा, जिससे दोनों पक्षों को मुकदमेबाजी में लगने वाली लागत और समय की बचत होगी.
दरअसल रेरा में फ्लैट पर कब्जे में देरी, प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस में आ रही दिक्कतें, पॉवर बैकअप सहित कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनका कोर्ट के बाहर भी निबटारा हो सकता है. ऐसे मामलों में केस दर्ज होने पर लंबी सुनवाई प्रक्रिया के चलते सुलझने में काफी समय लग जाता है. सुलह और विवाद प्रकोष्ठ की खासियत है कि यह विवाद को समझ कर ग्राहक व प्रोमोटर दोनों की उपस्थिति में इसे सुलझाने की कोशिश करती है. चूंकि इस प्रक्रिया में किसी वकील या अन्य प्रतिनिधियों का हस्तक्षेप नहीं होता है, इसलिए पूरी प्रक्रिया आसान हो जाती है और पैसे भी बचते हैं. इसमें दोनों पार्टियों के बीच विवाद को आपसी सहमति से दो से तीन सुनवाई में ही सुलझा लिया जाता है.
रेरा के प्रस्ताव के मुताबिक प्रकोष्ठ के संचालन, गाइड व मॉनीटरिंग के लिए कोर कमेटी बनेगी. विवादों के समाधान के लिए पटना में एक पीठ होगी, जिसमें तीन सदस्य होंगे. इसे बिहार रेरा के सीनियर लीगल कंसल्टेंट हेड करेंगे. आवश्यकता पड़ने पर अन्य जिलों में भी ऐसे बेंच स्थापित किये जायेंगे. रेरा के स्तर पर इनको तमाम प्रशासनिक, वित्तीय और आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी.
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सुलह शुरू करने का इच्छुक कोई भी पक्ष प्रकोष्ठ के समक्ष निर्धारित प्रपत्र में इ-मेल द्वारा ऑनलाइन, स्पीड पोस्ट या सीधे कार्यालय में आवेदन कर सकता है. प्रकोष्ठ के संज्ञान लेने पर मामले में दूसरे पक्ष को नोटिस की जायेगी. नोटिस के सात दिन के भीतर दूसरे पक्ष को जवाब देना होगा. इसके बाद रेरा आधिकारिक वेबसाइट पर दोनों पक्षों को सुलह की तारीख, समय और स्थान की सूचना देगा. दोनों पक्ष अापसी सहमति से इस तिथि को दस दिनों तक पुनर्निर्धारित कर सकेंगे. सुलह होने पर उसका दस्तावेज तैयार कर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर लिये जायेंगे.