पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई व उसका निवारण किया. उन्होंने लोक शिकायत के 32 मामले की सुनवाई की. इसमें 24 मामले का निवारण करने के साथ आठ मामले में अंतरिम आदेश पारित किया. दाखिल खारिज में देर करने के कारण पुनपुन के सीओ पर पांच हजार का अर्थदंड लगाया. साथ ही रिश्वत लेने के आरोप में राजस्व कर्मचारी अमित कुमार सिन्हा को निलंबित कर दिया गया.
डीएम ने शनिवार को लोक शिकायत निवारण मामले की सुनवाई के दौरान डॉक्टर्स कॉलोनी के रहनेवाले फरियादी रजनीश कुमार की शिकायत पर कार्रवाई की. रजनीश कुमार ने आरोप लगाया कि पुनपुन के सीओ ने गलत तरीके से जमाबंदी अस्वीकृत कर दिया था. बाद में राजस्व कर्मचारी अमित कुमार सिन्हा द्वारा 10 हजार रुपये रिश्वत लेने के बाद जमाबंदी कायम किया गया. डीएम ने उपलब्ध साक्ष्यों व स्थिति के मद्देनजर अपीलार्थी का कथन सत्य माना.
डीएम ने कहा कि पंजी-टू में कोई विवरणी छूटी हुई है तो उसे दर्ज करने का अधिकार नियमानुसार भूमि सुधार उप समाहर्ता का है. पुनपुन सीओ ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के बिना आदेश के ही ऑनलाइन अपडेट कर दिया. पुनपुन सीओ द्वारा लोक शिकायत निवारण में शिथिलता बरतने के आरोप में पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया.
राजस्व कर्मचारी अमित कुमार सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध प्रपत्र-क गठित करने व विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का निर्देश दिया. पुनपुन सीओ से शो कॉज पूछा गया है. डीएम ने मसौढ़ी के भूमि सुधार उप समाहर्ता को पुनपुन सीओ की पदस्थापन तिथि से किये गये सभी दाखिल-खारिज एवं एलपीसी मामलों की गहराई से समीक्षा करने, पंजी-2 की जांच कर पूर्व से लंबित मामलों के निष्पादन की स्थिति की रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर समर्पित करने का निर्देश दिया. इस मामले की पुन: सुनवाई 28 जनवरी को होगी.
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डीएम ने परिवादी शारदा कुमार सिंह की शिकायत पर पुनपुन के पूर्व सीओ (वर्तमान में मसौढ़ी में पदस्थापित) मृत्युंजय कुमार व राजस्व कर्मचारी सुनील कुमार से स्पष्टीकरण मांगा है. दोनों को 10 फरवरी को सुनवाई में स्वयं उपस्थित होकर पक्ष रखने को कहा गया है. स्पष्टीकरण का जवाब संतोषजनक नहीं होने पर विलंब के लिए जवाबदेही तय कर दोनों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जायेगी. पुनपुन के पूर्व सीओ मृत्युंजय कुमार के विरुद्ध दाखिल-खारिज वाद को लम्बे समय से लंबित रखने के कारण अपील दाखिल की गयी थी. सीओ ने लगभग 10 महीना से अधिक समय से उनके मामले को लंबित रखा था.