जातिगत जनगणना की मांग के बाद अब बिहार में एक और नया मुद्दा सियासी रंग पकड़ने लगा है. प्रदेश की अंगिका और बज्जिका बोली की उपेक्षा को लेकर अब राजद ने आवाज बुलंद की है. आरजेडी सांसद मनोज झा ने इसके न्याय के लिए मोर्चा थामा है. उन्होंने गृह मंत्री अमित साह को पत्र लिखकर दोनों का कोड आगामी जनगणना में निर्धारित करने की मांग की है.
राज्यसभा में राजद के सांसद मनोज झा ने अब अंगिका और बज्जिका बोली की उपेक्षा की तरफ गृह मंत्री का ध्यान लाया है. उन्होंने अमित साह को पत्र लिखकर यह मांग की है कि दोनों का कोड आगामी जनगणना में तय हो. सांसद ने आग्रह किया है कि बज्जिका और अंगिका बिहार की बड़ी आबादी की भाषा है. लेकिन अबतक इसका कोड निर्धारित नहीं किया गया है.
आरजेडी सांसद मनोज झा ने अपने पत्र के माध्यम से गृह मंत्री को बताया कि वैशाली गणतंत्र ने पूरे संसार को गणतंत्र और उसके मूल्यों का संदेश दिया है. अंगिका और बज्जिका यहां की लोकप्रिय भाषा है जिनका अपना विशाल साहित्य है. बताया कि बिहार में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं में केवल बज्जिका और अंगिका का ही कोड निर्धारित नहीं किया गया है. जबकि दोनों में प्राथमिक कक्षाओं से पढ़ाई की मंजूरी राज्य सरकार के द्वारा दी गई है.
बता दें कि बज्जिका बिहार के तिरहुत प्रमंडल में सर्वाधिक बोली जाने वाली बोली है. इसे अभी तक भाषा का दर्जा नहीं मिला है. बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के स्नातक पाठ्यक्रम में इस बोली को शामिल भी किया गया है. एक बड़ी आबादी इसी बोली से जुड़ी हुई है. उत्तर बिहार में भोजपुरी और मिथिला के बीच के क्षेत्र में ये बोली प्रचलित है.
वहीं अंगिका अंग प्रदेश की भाषा है. भागलपुर व उसके आस-पास के क्षेत्रों के साथ ही झारखंड और बंगाल तक के एक बड़े हिस्से में इस भाषा से संवाद आज भी किया जाता है. अंगिका को कोड देने की मांग सामने आई तो सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी. अंगप्रदेश के लोगों ने, खासकर साहित्यकारों ने इसका समर्थन किया और कहा कि ये समझ से परे है कि इतने विशाल महाजनपद की इस खुबसूरत भाषा की उपेक्षा का क्या मकसद है.
Posted By: Thakur Shaktilochan