बिहार में कड़ाके की ठंड से किसानों के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है. पिछले कई दिनों से चल रही तेज हवाओं के साथ शीतलहर के कारण खेत खलियान पर गहरा प्रभाव पड़ा है. किसानों की मानें तो आलू और गोभी समेत कई फसलें बर्बाद हो रही हैं. उनमें पाले का असर ज्यादा है.
आलू, पालक, मेथी, धनिया, गोभी की फसल झुलसा रोग की चपेट में तेजी से आ रही है. इन सब्जियों की फसल का पौधा मुरझा कर सूखने लगा है. ऐसे में किसानों की माने तो 30 से 40 प्रतिशत तक फसल के उत्पादन में गिरावट आ सकती है.
प्रदेश में लगातर पड़ रही ठंड से फसलों में पाला का प्रकोप हो गया है. इससे बैंगन, आलू, गोभी समेत कई सब्जियों को नुकसान पहुंचा है. अत्यधिक ठंड के कारण फसल पर कोहरे की बूंद पड़ कर बर्फ की तरह जम जाती है. इससे संवेदनशील क्रॉप का सेल फट जाता है. यही कारण है कि फसलों का ग्रोथ रुक जाता है.
लगातार बढ़ रही ठंड के कारण सब्जियों की फसलों पर इसका असर दिखने लगा है. सब्जियों की फसल झुलसा रोग की चपेट में तेजी से आने लगी है. पत्ता और फूल गोभी की फसल को लाही कीट ने जकड़ना शुरू कर दिया है. गोभी की फसल सबसे ज्यादा लागत वाली मानी जाती है. पाला, कोहरा व सर्द हवाओं ने गोभी की फसल को भारी प्रभावित किया है.
बिहार में लगातार बढ़ रही ठंड के कारण सब्जियों की फसलों पर इसका असर दिखने लगा है. किसानों की मानें तो मौसम का उलटफेर रबी की लगभग सभी फसलों को प्रभावित कर रहा है. आलू फसल झुलसा रोग की चपेट में आ रही है.
लहसुन की फसल में झुलसा रोग ने दस्तक दे दी है. पिछले एक सप्ताह से मौसम खराब चल रहा है. पाला, कोहरा व सर्द हवाओं के साथ मौसम की लुका छुपी ने लहसुन की फसल को भारी प्रभावित किया है.
पाला से बचाव के उपाय
पाले की संभावना को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है. गंधक को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करने से पाले का असर कम होता है.