पटना हाइकोर्ट ने 6379 जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने मंगलवार को इस नियुक्ति प्रक्रिया में 40 प्रतिशत पदों को सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों के विद्यार्थियों से भरे जाने को गलत मानते हुए रिजल्ट को रद्द करने और नियुक्ति प्रक्रिया को रोकने का फैसला सुनाया. हाइकोर्ट ने नये सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है.
इस मामले में पटना हाइकोर्ट ने तीन मार्च को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे मंगलवार को सुनाया गया. इसके अनुसार अब नये सिरे से काउंसेलिंग की प्रक्रिया शुरू होगी और इसके आधार पर नयी मेरिट लिस्ट तैयार की जायेगी. इसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जायेगी.
बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने साल 2019 में 6379 जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था. राज्य सरकार ने इसमें 40 प्रतिशत पदों को उन अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रखा था, जिन्होंने राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों से डिप्लोमा किया था. आरक्षण वाले इस बिंदु को लेकर रिजल्ट को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करने वाली वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने बताया कि सरकारी और निजी पॉलिटेक्निक संस्थानों में एक ही परीक्षा से नामांकन लिया गया था. अब नौकरी के समय सरकारी पाॅलिटेक्निक संस्थानों के विद्यार्थियों को 40% आरक्षण देना कानूनी तौर पर सही नहीं था. इसके चलते कम अंक लाने वाले सरकारी संस्थानों के आवेदकों को सफल घोषित कर दिया गया, जबकि अधिक अंक लाने वाले गैर सरकारी संस्थानों के अावेदक छूट गये. जानकारी के अनुसार सफल घोषित आवेदकों में करीब दो हजार लोगों की विभिन्न विभागों में नियुक्ति भी कर ली गयी है.
यह मामला पहले भी कोर्ट में था और उस दौरान कोर्ट ने इस शर्त के साथ नियुक्ति प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी थी कि जब आरक्षण के बिंदु पर अंतिम फैसला आयेगा, ताे वही अंतिम तौर पर लागू होगा.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan