भगवान शिव शंभू को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना जाता है. इस बार सावन दो माह का हो रहा है. वैसे तो सावन की शुरुआत चार जुलाई से ही चुकी है, जिसका समापन 31 अगस्त को होगा. ऐसे में शिव पूजा के लिए इस बार भक्तों के पास ज्यादा समय है. आज पहली सोमवारी है. इसे लेकर शहर के बाजार से लेकर शिवालय सजधज कर तैयार हैं. हरी-हरी चूड़ियों की खनखनाहट से बाजार गूंज रहे हैं. बारिश की छिटपुट बूंदों के साथ सावन गीत और झूले महिलाओं को भा रहे हैं. इस मौके को कोई भी गंवाना नहीं चाहता और हर रंग को अपने अंदर भर लेना चाहता है. सभी अपने-अपने अंदाज में हरियाली और सावन की पहली सोमवारी के स्वागत में जुटे हैं. पहली सोमवार को लेकर महिलाएं रंग-बिरंगी साड़ियों से लेकर हरी चूड़ियों और सोलह शृंगार की खरीदारी करती नजर आयीं.
हरियाली के इस माह में हरे रंग की चूड़ियों की खनखनाहट चारों तरफ गूंज उठी है. इस मौके पर सुहागिन महिलाएं हरे रंग की चूड़ी जरूरी पहनती हैं. इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि सावन में हरे रंग की चूड़ियां पहनने से सुहागिन के जीवन में खुशियां बनी रहती है. इसे देखते हुए राजधानी पटना के प्रमुख बाजार से लेकर फुटपाथ के दुकानों व ठेलों पर भी हरे रंग की चूड़ियों के कलेक्शन की भरमार दिख रही है. प्लेन कांच की हरी चूड़ियां 40 रुपये और वर्क चूड़ियां 100-200 रुपये के हिसाब से बिक रही हैं. चूड़ी विक्रेताओं का कहना है कि सावन शुरू होते ही चूड़ियों की बिक्री में तेजी आ गयी है.
सावन माह में परंपरागत चूड़ियों के साथ लेटेस्ट डिजाइनर की चूड़ियां भी मार्केट में बिक रही हैं. बाजार में गोल्डन डॉट्स, पत्थर, लाइट ग्रीन ग्लास, कुंदन, मोती और सामान्य धातु से बनी चूड़ियों की अच्छी खासी डिमांड है. इसके अलावा कांच की हरी चूड़ियां भी महिलाओं की पहली पसंद बनी हुई है. चूड़ी के थोक कारोबारी अंकित अग्रवाल ने बताया कि चूड़ियों की डिमांड को देखते हुए इस बार तीन से चार लॉट माल मंगाये हैं. चूड़ी सेट, कांच की सदाबहार प्लेन व कामदार चूड़ियां, फैंसी चूड़ियां, मल्टीपल चूड़ियों का सेट, लहठी सेट हर रेंज में उपलब्ध है.
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प्लेन कांच की चूड़ी : ~30 (डब्बा)
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फैशनेबल चूड़ियां : ~100-200
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ग्रीन चूड़ी सेट: ~ 200 – 300
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लहठी सेट : ~ 500-800
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फैंसी चूड़ी : ~150-200
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साड़ी व्यवसायी राजेश मखारिया कहते हैं, सावन आते ही हरे रंग की साड़ियों से लेकर कपड़ा बाजार में भी हरियाली छा जाती है. क्योंकि इस महीने जगह-जगह सावन मेला, सावन मिलन का आयोजन होता है. अधिकतर कार्यक्रमों का थीम ग्रीन ही रहता है. ऐसे में ट्रेंडी दिखने के लिए महिलाएं हरी साड़ियों की खरीदारी करती हैं. इन साड़ियों को साधारण और हेवी ब्लाउज के साथ कंट्रास्ट किया जा रहा है. वेस्टर्न हो या एथनिक वेयर, महिलाएं लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स का ध्यान रख रही हैं. इस वर्ष सावन में महिलाओं के बीच कोरा सिल्क साड़ियों की अच्छी डिमांड है. कारोबारियों का कहना है कि इस बार महिलाओं में ग्रीन सिल्क, बनारसी ग्रीन सिल्क, लहरिया व बंधेज हरी साड़ियों की मांग अच्छी है. इसके अलावा शिफॉन साड़ी, लहरिया शिफॉन साड़ी, डोला, चंदेरी सिल्क ऑर्गेंजा साड़ियों की डिमांड है. बाजार में साड़ियों की रेंज 800 रुपये से लेकर 18-25 हजार रुपये तक में उपलब्ध है.
फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की शृंगार सामग्री.
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पुराणों के अनुसार, सोलह शृंगार घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है. सोलह शृंगार का जिक्र ऋग्वेद में भी किया गया है और इसमें ये कहा गया है कि सोलह शृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं बल्कि भाग्य को भी बढ़ाता है. इसका सीधा संबंध शास्त्रों से भी है, जिसमें कहा गया है कि महिलाओं को घर में पूर्ण साज-सज्जा के साथ रहना चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि घर में मान-प्रतिष्ठा बनी रहे. महिलाएं इनका परिपालन कर सिर से लेकर पैर तक कोई न कोई सुहाग चिन्ह जैसे बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, बालों पर लगाने के लिए गजरा, मांग टीका, नथ, कानों में झुमके, लाल-हरी चूड़ियां, अंगूठी, कमरबंद, बाजूबंद, बिछुए, पायल पहनती हैं.
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1. बिंदी : भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है.
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2. सिंदूर : सौभाग्यवती महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं.
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3. काजल : काजल आंखों का शृंगार है. इससे आंखों की सुंदरता बढ़ती है और यह बुरी नजरों से बचाता है.
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4. मेहंदी : माना जाता है कि हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है.
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5. शादी का जोड़ा : शादी के वक्त दुल्हन को जरी से सुसज्जित पहनाया जाने वाला एक तरहा का वस्त्र है.
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6. गजरा : मान्यताओं के अनुसार, गजरा दुल्हन को धैर्य व ताजगी देता है.
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7. मांग टीका: मांग टीका महिला के यश व सौभाग्य का प्रतीक है.
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8. नथ : सुहागिन स्त्रियों के नथ पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि करता है.
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9. कर्णफूल : कानों में कर्णफूल पहनना जरूरी समझा जाता है. इसके बिना महिला का शृंगार अधूरा रहता है.
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10. मंगल सूत्र : यह सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित कर महिला के दिल और मन को शांत रखता है.
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11. बाजूबंद : कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है.
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12. कंगन व चूड़ियां : सोने का कंगन व चूड़ियां पति-पत्नी के भाग्य व संपन्नता के प्रतीक हैं.
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13. अंगूठी : पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है.
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14. कमरबंद : कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है.
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15. बिछुवा : महिलाओं के लिए पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनना शुभ व आवश्यक माना गया है.
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16. पायल: महिला के पैरों में पायल संपन्नता की प्रतीक होती हैं.