संजय कुमार अभय,गोपालगंज: केंद्रीय सिपाही चयन पर्षद के ओएसडी रहे निलंबित डीएसपी कमलाकांत प्रसाद पर गोपालगंज के अनुसूचित जाति/जनजाति थाने में दर्ज दलित उत्पीड़न मामले की जांच में लाभ पहुंचाने के आरोप में एसपी आनंद कुमार ने अनुसूचित जाति/जनजाति थाने के थानेदार जंगो राम को निलंबित कर दिया है. साथ ही विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया गया है.
इस प्रकरण में विवेचना में गड़बड़ी करने के मामले में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है. एसपी खुद कांड की जांच की मॉनीटरिंग कर रहे हैं. यह कार्रवाई सीआइडी के परामर्श के बाद शुरू हुई है. सूत्रों की मानें तो अनुसूचित जाति/जनजाति थाना कांड संख्या-32/21 की जांच के दौरान थानेदार जंगो राम कमलाकांत प्रसाद को बचाने के लिए नियमों को भी ताख पर रख दिये थे.
सीआइडी की स्पष्ट जांच में गड़बड़झाला पाते हुए आपत्ति जताते हुए कहा था कि कांड के सूचक सुरेंद्र गोंड 161 दप्रस के बयान में अगर पक्षद्रोही हो रहे थे अथवा मुकर रहे थे तो औपरचारिक रूप से सीआइडी को सूचित करना चाहिए था. लेकिन, जांच अधिकारियों ने अभियुक्त को दंड से बचाने के उद्देश्य से तत्क्षण कोर्ट में दप्रस 164 में बयान दर्ज करा सदोष लाभ पहुंचाया गया. ऐसा करना अनुसंधानकर्ता के अभियोजन के प्रतिकुल कार्य का परिचायक है. जांच अधिकारी के कर्त्तव्य पर संदेह उत्पन्न करता है. सीआइडी ने माना है कि जांच अधिकारियों ने व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए ऐसा कार्य किया है. सीआइडी के गंभीर टिप्पणी के बाद पुलिस कार्रवाई में जुटी है.
Also Read: बिहार पंचायत चुनाव 2021 में वार्ड सदस्य पद के लिए बढ़ा क्रेज, मुखिया से भी अधिक हो रहा है नामांकन
28 जून को सीआइडी कमजोर वर्ग के एएसपी मदन आनंद, डीएसपी ममता कल्याणी व डीएसपी पीटर के नेतृत्व में टीम जांच करने पहुंची थी. अनुसंधान टीम के सामने भोरे थाना क्षेत्र के सेमरा गांव के रहने वाले सुरेंद्र गोंड ने जांच अधिकारियों के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए उचित कार्रवाई की अनुरोध किया था. इस पर अनुसूचित जाति/जनजाति थाने में एक जुलाई को हथुआ के तत्कालीन एसडीपीओ कमलाकांत प्रसाद के खिलाफ कांड संख्या 32/21 दर्ज करायी गयी. उसके जांच में पुलिस अधिकारियों ने लीपापोती कर दी.
पुलिस कप्तान आनंद कुमार ने थानेदार को निलंबित करने की पुष्टी करते हुए बताया कि इस कांड की माॅनीटरिंग हाइ लेबल पर हो रही है. इसमें कोई भी गड़गबड़ी मिली, तो बख्शा नहीं जा सकता. कांड के साक्ष्यों को सुक्ष्मता से जांच की जा रही है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan