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श्रावणी मेला 2022 : पटना के इस मंदिर में शिवलिंग पर बनी धारियों में हैं 1200 शिवलिंग

श्रावण माह में भोलेनाथ यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. पटना के कलेक्टेरिएट घाट व फतुहा के त्रिवेणी कटैया घाट से भी हजारों की संख्या में लोग रविवार को जल उठा कर रात भर की पद यात्रा कर सोमवार को जल बैकुंठनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं.

पटना के खुसरूपुर के बैकटपुर स्थित श्री गौरी शंकर बैकुंठनाथ शिव मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है. यहां शिवलिंग के रूप में भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं. इस पूरे शिवलिंग पर कुल 12 धारियां बनी हुई है, जो हर एक धारी में छोटे-छोटे सौ शिवलिंग बने हैं जो कुल मिला कर 1200 शिवलिंग हैं. छोटे शिवलिंगों को रुद्र कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि बैकुंठनाथ मंदिर जैसा शिवलिंग कहीं और नहीं है.

मंदिर का इतिहास

यहां मंदिर के पुजारी अखिलेश तिवारी ने बताया कि प्राचीन काल में गंगा के तट पर बसा यह क्षेत्र बैकुंठ वन के नाम से जाना जाता था. आनंद रामायण में इस गांव की चर्चा बैकुंठा के रूप में हुई है. लंका विजय के बाद रावण को मारने से जो पाप लगा था, उससे मुक्ति के लिए भगवान श्रीराम इस मंदिर में आए थे. यहां उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की थी. इस मंदिर का इतिहास महाभारत के जरासंध से भी जुड़ा हुआ है. मान्यताओं के अनुसार जरासंध भगवान शंकर का बड़ा भक्त था. जरासंध रोज इस मंदिर में राजगृह से बैकुंठनाथ मंदिर पूजा करने आता था. चीनी यात्री फाह्यान ने यात्रा वृतांत में नालंदा दौरे के दौरान बैकुंठपुर मंदिर की चर्चा की है. अकबर का सेनापति राजामान सिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. वर्तमान जो स्वरूप है वह राजा मान सिंह द्वारा ही बनाया गया है.

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सावन में आते हैं लाखों श्रद्धालु

श्रावण माह में भोलेनाथ यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. पटना के कलेक्टेरिएट घाट व फतुहा के त्रिवेणी कटैया घाट से भी हजारों की संख्या में लोग रविवार को जल उठा कर रात भर की पद यात्रा कर सोमवार को जल बैकुंठनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं. इस साल सावन की पहली सोमवारी पर यहां 50 हजार श्रद्दालुओं ने जलाभिषेक किया, दूसरी सोमवारी पर करीब एक लाख और अनुमान है कि तीसरी और चौथी अंतिम सोमवारी पर करीब दो लाख श्रद्दालु जलाभिषेक के लिए आएंगे.

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