Special Status For Bihar: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग ने फिर एकबार जोर पकड़ा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की नीतीश सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज दिया है. मंगलवार को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में पेश किए गए इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब इसे केंद्र सरकार के पास भेजा गया. सरकार ने इस मांग के पीछे की वजह और इससे जुड़े तर्क भी पेश किए हैं. जिसमें बताया गया है कि क्यों बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना जरूरी है. बता दें कि राज्य में सत्ताधारी महागठबंधन के नेताओं ने इस मांग को अब प्रमुखता से सामने रखा है. सूबे की सियासत भी अब इसे लेकर गरमायी हुई है.
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कई बार खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कर चुके हैं. पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व वित्त मंत्री विजय चौधरी समेत महागठबंधन सरकार के कुछ प्रमुख नेताओं ने भी इसकी मांग खुलकर की. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 13-14 वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. देश में पहली बार बिहार में जातीय सर्वे कराया गया और इसके आंकड़ों से अलग-अलग जातियों में गरीबों के हालात सामने आए. राज्य में 34.1 % गरीब हैं और इसके लिए अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की जरुरत है. राज्य सरकार को 94 लाख गरीब परिवार को आगे बढ़ाना है. इसके लिए राज्य सरकार को 2.50 लाख करोड़ की जरूरत है. बिहार सरकार के बूते से बाहर की ये बात है.
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उधर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा बिहार की आवश्यकता भी है और अधिकार भी. उन्होंने यह बात अपने ऑफिशियल ‘एक्स’ हैंडल पर लिखी है. भाजपा पर हमला बोलते हुए लिखा है कि भाजपा लंबे समय से अपने दोहरे चरित्र और विभाजनकारी नीतियों के चलते इसे जानबूझकर रोके हुए है.राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इन दिनों नयी दिल्ली में हैं. इससे पहले उन्होंने बुधवार को दिल्ली रवाना होने से पहले कहा था कि अगर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार काे विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया, तो उनकी सरकार बदल देंगे. फिलहाल राजद विशेष राज्य के दर्जे पर केंद्र सरकार पर हमलावर बना हुआ है.
बिहार सरकार ने एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जें की मांग को तेज किया है. कैबिनेट से पास होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा गया है. राज्य सरकार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कुल करों में राज्य की हिस्सेदारी और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य की भागीदारी दोनों स्तर पर बिहार को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग में राज्य के कर राजस्व प्रतिशत में कमी की गयी है. इससे बिहार को 61195 करोड़ रुपये की क्षति हुई है. केंद्र की ओर से अपनी हिस्सेदारी में निरंतर कमी लाने को सर्व शिक्षा अभियान या समग्र शिक्षा अभियान के उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं. इसके तहत वर्ष 2015-16 में केंद्रांश की राशि 3799 करोड़ प्राप्त हुई थी,जो वर्ष 2022-23 में घटकर 2623 करोड़ हो गयी है. इस प्रकार 1175 करोड़ की क्षति राज्य को हुई है. इसी प्रकार वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22 तक प्री-मैट्रिक छात्रवृति योजना में केंद्र का अंशदान 0.86% और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में 20.05% अंशदान से राज्य सरकार को खुद क्रमश: 10222 करोड़ व 1996 करोड़ वहन करना पड़ा है. जबकि दोनों योजनाएं केंद्र प्रायोजित हैं और इन योजनाओं में केंद्र व राज्य का हिस्सा क्रमशः 50:50 और 100:0 प्रतिशत है.
राज्य सरकार ने लगातार केंद्रीय प्रायोजित स्कीम (सीएसएस) के शेयरिंग पैटर्न में बदलाव का विरोध किया है. ऐसी योजनाओं की संख्या और इसमें खर्च राशि में केंद्र-राज्य के अनुपात में लगातार बदलाव से बिहार को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के पूर्व सीएसएस मेंकेंद्रवराज्य के बीच केव्यय का अनुपात विभिन्न योजनाओं केअनुसार100:0, 90:10, 85:15 और 75:25 था, जो वर्ष 2015-16 के बाद सामान्य तौर पर 60:40 और कई स्कीमों में 50:50 का हो गया है. वर्ष 2015-16 में राज्य के वार्षिक स्कीम में सीएसएस के केंद्रांश का हिस्सा जहां 29% था,वह वर्ष 2022-23 में घटकर 21% हो गया है, जिसके कारण राज्य को 31000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
इधर बिहार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि केंद्र राज्य पर वित्तीय दबाव बना रहा है. इसके लिए सीएसएस का पैटर्न बदल दिया है. पहले जहां सीएसएस के तहत केंद्र सरकार 90% और राज्य सरकार 10% देती थी, लेकिन अब यह पैटर्न बदल गया है और घटते-घटते 50: 50 हो गया है.
भाजपा के नेताओं ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के बदले विशेष पैकेज को मुद्दा बनाया है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष पैकेज दिया है. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में अगर भाजपा की सरकार बनी तो बिना विशेष राज्य का दर्जा मिले ही इसे मॉडल राज्य बना देंगे और विकसित करेंगे. सरकार की ओर से राज्य को विशेष पैकेज दिया गया है. बता दें कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जे देने की मांग को नीति आयोग पहले ही खारिज कर चुका है. नीति आयोग ने विशेष राज्य के बदले विशेष सहायता की बात की है. 14वें वित्त आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अब राज्यों को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया जा सकता. रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह कहा गया था. वित्त आयोग ने इसके पीछे तर्क भी दिया था. बताया गया था कि केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा 32 % से बढ़ाकर 42 % कर दिया गया है, जिससे सभी राज्यों को पहले की तुलना में केंद्र से 50 % अधिक अंतरण प्राप्त हो रहा है, इसलिए अब विशेष दर्जे वाले राज्यों की जरूरत नहीं रह गयी है.