संजीव, भागलपुर: राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले (srijan ghotala) की सीबीआइ जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है कि इसी मामले में लगभग 100 करोड़ का एक और घोटाला सामने आया है. इस मामले में(Srijan Scam Bihar ) राज्य मुख्यालय ने संज्ञान लिया और गृह विभाग के निर्देश पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. भागलपुर में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी और इसके बाद गृह विभाग की अोर से जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी जायेगी.
मालूम हो कि इस बाबत बिहार सरकार के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने डीएम को पत्र भेजा है. इसमें निर्देश दिया गया है कि पहले एससी-एसटी डिपार्टमेंट या डीएम के स्तर से शिकायतकर्ता नामित किया जायेगा. इसके बाद भागलपुर जिला पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. प्राथमिकी दर्ज होते ही उसकी प्रति प्राप्त कर सीबीआइ को जांच के लिए गृह विभाग प्रस्ताव भेज देगा. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है.
सृजन मामले में महालेखाकार लेखा परीक्षा दल ने वर्ष 2007 से 2017 के बीच की अवधि का विशेष ऑडिट किया था. इसमें 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के अतिरिक्त गबन का पता चला. इस पर डीएम ने इस संबंध में इसी वर्ष छह मार्च को मुख्यालय को पत्र भेजा. इसी पत्र के आधार पर एससी-एसटी कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है, ताकि इस मामले की भी सीबीआइ जांच करायी जा सके.
Also Read: नीतीश कुमार को नहीं है जल्दीबाजी, भाजपा से प्रस्ताव आने के बाद करेंगे कैबिनेट का विस्तार
सरकारी खातों से करोड़ों के घोटाले के सृजन मामले की प्राथमिकी दर्ज होने की शुरुआत सात अगस्त, 2017 को हुई थी. बिहार सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश 18 अगस्त, 2017 को की थी. केंद्र सरकार ने सीबीआइ जांच से संबंधित अधिसूचना उसी महीने की 21 तारीख को जारी की. 26 अगस्त, 2017 को सीबीआइ की टीम भागलपुर पहुंची. इसके साथ ही सीबीआइ के जिम्मे प्रखंड कार्यालयों के खातों से हुए घोटाले के केस सौंपे गये. तीन साल बाद अब लगभग 99 करोड़ के गबन के नये मामले का पर्दाफाश हुआ है.
सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर की शुरुआत गरीब और नि:सहाय महिलाओं के उत्थान के उद्देश्य के लिए की गयी थी. बाद में 14 वर्षों से इसमें इस आड़ में घोटाले पर घोटाले किये जाते रहे. विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमीकियां यह बताती हैं कि सबसे पहले जिला प्रशासन की नजारत शाखा से घोटाले की शुरुआत हुई. 16 दिसंबर, 2003 से लेकर 31 जुलाई, 2017 तक नजारत के खजाने से पैसे की अवैध निकासी होती रही. इसके बाद जिला पर्षद, फिर सहरसा, भागलपुर व बांका भू-अर्जन कार्यालय, कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, डूडा आदि के खातों से घोटाला किया गया. इसी दौरान प्रखंड कार्यालयों के खातों से भी गबन किया गया.
Posted By: Thakur Shaktilochan