पटना. बिहार में शराबबंदी के बाद भी तेज रफ्तार का कहर कम नहीं हो पा रहा है. सड़क हादसों की संख्या और हादसों में हो रही मौत कम होने का नाम नहीं ले रही है. सरकार सड़क हादसों को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन लाख प्रयास के बावजूद उसका कोई सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आ रहा है. ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई है. अकेले पटना में हेलमेट नहीं लगाने के कारण लोगों पर तीन माह में 22 करोड़ रुपये का चालान काटा गया है. इसके बावजूद सड़क हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में वर्ष 2021 में 9553 सड़क हादसे हुए, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 10801 हो गए. वहीं पटना में वर्ष 2022 में 275 लोगों की मौत हुई. पटना में सड़क हादसों में 28 प्रतिशत की कमी आई. वर्ष 2022 में हुए सबसे अधिक बाइक और कार से दुर्घटनाएं हुईं. बाइक से हुई दुर्घटनाओं में 3606 मौतें हुईं तो कार से 556 लोगों ने जान गंवाई. ट्रक से 213, बस से 106, टैक्टर से 473 और आटो से 545 मौतें हुईं. शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक बाइक से 83 और आटो से 30 मौतें हुईं.
देश में धार्मिक स्थलों के पास सबसे अधिक दुर्घटनाएं बिहार में हुईं
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार में 10 हजार 801 सड़क हादसे हुए, जिनमें आठ हजार 898 लोगों ने जान गंवा दी. आंकड़ों में बिहार का ग्राफ टाप 10 के बाहर है, लेकिन देश में धार्मिक स्थलों के पास सबसे अधिक दुर्घटनाएं बिहार में हुईं. इनमें 2995 लोगों की मौत हो गई. 2022 में धार्मिक स्थलों के पास सड़क दुर्घटनाओं में बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 2258 मौतें हुईं. इनमें 1791 पुरूष और 467 महिलाएं रहीं. यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 686, झारखंड में 525 और मध्य प्रदेश में 340 मौतें हुईं. वहीं शहरी क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों के पास सड़क दुर्घटनाओं में 737 मौतें हुईं. इनमें 536 पुरूष और 201 महिलाएं हैं. दुर्घटना के मामले में बिहार के बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं.
बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें एनएच पर
एनसीआरबी की रिपोर्ट की मानें तो बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं. दुर्घटनाओं में सात हजार 68 लोग जख्मी भी हो गए. एनसीआरबी द्वारा जारी देश में 2022 के दौरान आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में राज्य के ग्रामीण इलाकों में धार्मिक स्थलों के पास हुई सड़क दुर्घटनाओं में कुल 2258 लोगों (पुरुष-1791 और महिला-467) की जान चली गई. ये देश में सर्वाधिक हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश (686), झारखंड (525), तमिलनाडु (506), मध्य प्रदेश (340) और महाराष्ट्र (321) का स्थान है.
बिहार में धार्मिक स्थलों के पास सबसे ज्यादा हादसे
रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में राज्य के विभिन्न जिलों में शहरी क्षेत्रों के धार्मिक स्थलों के पास हुई दुर्घटनाओं में कुल 737 (पुरुष 536 और महिला 201) लोगों की जान चली गई. यह भी पूरे देश में सर्वाधिक है. इसके बाद उत्तर प्रदेश (487), मध्य प्रदेश (308), महाराष्ट्र (284), तेलंगाना (278) का स्थान आता है. पूरे राज्य में 2022 में दर्ज 10,801 सड़क दुर्घटनाओं में कुल 8,898 लोगों की मौत हो गई और 7,068 लोग घायल हुए, जबकि 2021 में 9,553 दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं. सड़क दुर्घटना के मामलों में बिहार देश में 13वें स्थान पर रहा, जबकि 2021 में यह 15वें स्थान पर था.
तेज रफ्तार के चलते बिहार में 56 फीसदी हादसे
रिपोर्ट में बताया गया कि 56 फीसदी दुर्घटनाओं में तेज रफ्तार के कारण हादसे हुए, जिसमें 4,868 लोगों की मौत हुई, जबकि 34.7 प्रतिशत दुर्घटनाएं खतरनाक और लापरवाह से वाहन चलाने के कारण हुए. बिहार में शराब के नशे में गाड़ी चलाने के दौरान हुई दुर्घटनाओं में 43 लोगों की जान चली गई. बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया था, जिसके तहत शराब के निर्माण, बिक्री या खपत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 8,898 मौतों में से 3,926 मौतें राष्ट्रीय राजमार्गों पर और 2,032 मौते राज्य राजमार्गों पर हुईं. राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए बिहार ने पहले ही एक समर्पित ‘राजमार्ग गश्ती बल’ की स्थापना करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर तैनात किया जाएगा.