बिहार में कड़ाके की ठंड के बीच बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ जाने की तैयारी में हैं. नीतीश और तेजस्वी के बीच बढ़ती दूरियां इस चर्चा को बल दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार इस्तीफा देकर बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर फिर से सरकार मना सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार एनडीए की सरकार में फिर सीएम होंगे.
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इनके साथ बीजेपी 2020 की तर्ज पर दो डिप्टी सीएम हो सकते हैं. हालांकि, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार के पूरे गेम प्लान को लालू यादव की पार्टी आरजेडी आसानी से पूरा नहीं होने देने वाली है. क्योंकि बिहार विधानसभा में स्पीकर का पद अभी आरजेडी के ही पास है.यही कारण है कि पूरा प्लान तैयार होने के बाद भी सबकी नजर अवध बिहारी चौधरी पर टिकी हुई हैं.
बिहार विधान सभा में स्पीकर की जिम्मेदारी आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी निभा रहे हैं. ऐसे में अगर बिहार में बहुमत का खेल हुआ तो सूबे में एक बड़ा खेल हो सकता है.यही कारण है कि बीजेपी नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कह रहे हैं कि लालू प्रसाद राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं. विधान सभा में नंबर का खेल हुआ तो वे विधान सभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के साथ मिलकर एक बड़ा खेल खेल सकते हैं. क्योंकि स्पीकर के पास अपार शक्ति है. लालू यादव कुछ जेडीयू और एनडीए विधायकों (मांझी की पार्टी के) को तोड़कर एक अलग गुट बनाने में सफल हो जाते हैं, तो सरकार में बदलाव हो सकता है.
बिहार विधानसभा में अभी किसी पार्टी के कितने विधायक वो इस प्रकार है. सूबे में विधानसभा की कुल 243 सीट है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 122 का है। जेडीयू के बिना महागठबंधन के पास 115 विधायक हैं। इनमें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, एआईएमआईएम के एक और लेफ्ट के 16 विधायक शामिल हैं. वहीं नीतीश के बीजेपी संग जाने पर एनडीए के पास 128 विधायक होंगे. बीजेपी के पास 78, जेडीयू 45, मांझी की HAM के 4 और एक निर्दलीय विधायक हैं.