सीट साझेदारी को लेकर बिहार में सियासी ”कोहरा” छाया हुआ है. विशेष रूप से महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारा अभी घोषित होना है. राजद हाइकमान ने अधिकतर सीटों पर किनको उतारना है, इसको लेकर माइंड मेकअप कर लिया है. नाम घोषित करने भर बाकी हैं. सियासी जानकारों के मुताबिक अगर सीट साझेदारी में राजद की मंशा के विपरीत कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ, तो वह अपनी संभावित अधिकतर सीटों पर 2019 की तुलना में नये प्रत्याशी उतारने जा रहा है. वह नये चेहरे पर दांव खेलेगा. हालांकि, उन सीटों पर जहां उसके प्रत्याशियों की हार का अंतर कम रहा , वह वहां पुराने चेहरों पर भी दांव खेल सकता है.
राजद से जुड़े सियासी जानकारों के मुताबिक पाटलिपुत्र और सारण की लोकसभा सीट को राजद सुप्रीमो अपने बेहद करीबियों के लिए सुरक्षित रखना चाहेंगे. यह भी करीब-करीब साफ हो चुका है. राजद का पूरा फोकस जीतने वाले प्रत्याशियों पर है. इसके लिए वह कुछ सीटों पर चौंकाने वाला निर्णय भी ले सकता है. जानकार बता रहे हैं कि राजद कोटे के कुछ मंत्रियों पर भी राजद दांव खेल सकता है.
फिलहाल राजद लोकसभा के ”बैटल ग्राउंड” पर कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है. रणनीति भी उसी प्रकार की है. जानकारों का कहना है कि राजद सुप्रीमो की मंशा लग रही है कि वह लोकसभा में अधिक -से -अधिक प्रत्याशी जीता कर पार्टी का केंद्र की राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ा सकें. उसकी मुख्य प्रतिस्पर्धा जहानाबाद, सीवान और सीतामढ़ी और कुछ अन्य सीटों पर है, जहां उसे लगता है कि उसकी ताकत गठबंधन के दूसरे साझीदारों से अधिक है. हालांकि, यह तीनों सीट जदयू की सीटिंग है. जिन सीटों पर भाजपा जीती है, वहां राजद को सीट साझेदारी करने में कोई खास अड़चन नहीं है.