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बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई शुरू, लेकिन 65 फीसदी बच्चों को नहीं मिली कोर्स की किताबें

किताबें लेट बंटने की वजह प्रिंटर्स का रवैया भी बताया जा रहा है. चूंकि अधिकतर प्रिंटर्स नये हैं. पूंजी का अभाव है. इसलिए उन लोगों ने सबसे पहले छोटे जिलों के स्कूलों में किताब बांटने का लक्ष्य बनाया है. ताकि वहां से पैसा लेकर अपनी आर्थिक कठिनाइयों को दूर करें.

बिहार के सरकारी स्कूलों में बांटने के लिए ब्लॉक स्तर पर अभी तक केवल 36 फीसदी यानी 45.75 लाख किताबें ही पहुंच सकी हैं. वहीं, ब्लॉक से स्कूलों में बंटने के लिए पहुंचायी गयी इन किताबों में 38.92 लाख स्कूली बच्चों को किताबें बांटी जा चुकी है. हालांकि अब भी 64 फीसदी किताबें ब्लॉक स्तर तक नहीं पहुंच सकी हैं. प्रदेश में कक्षा एक से आठवीं तक के 1.27 करोड़ बच्चों को सरकार की तरफ से किताबें बांटी जानी हैं. कुल मिला कर अब तक 65 फीसदी बच्चे बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं.

एजेंसियां कर रही लापरवाही 

आधिकारिक जानकारों के मुताबिक किताब वितरण के लिए प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है. दरअसल जिन एजेंसियों को ब्लॉक और वहां से स्कूल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है, वह काफी हद तक लापरवाही कर रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग पाठ्य पुस्तक वितरण की निगरानी कर रहा है.

पुरानी किताबों से ही चला रहे काम

स्कूली बच्चे किसी तरह पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं. सबसे बुरी स्थिति कक्षा एक से दो के बच्चों की है, जिन्हें बिल्कुल नयी किताबों से पढ़ाई करानी है. 19 अप्रैल तक पूर्वी चंपारण में ब्लॉक स्तर पर केवल 1.77 फीसदी किताबें पहुंचायी गयी हैं. इस जिले में 19 अप्रैल तक एक भी किताब बच्चों को नहीं बांटी गयी थी. वह जिले जहां एक लक्ष्य का एक चौथाई से भी कम किताबें बंटी हैं, उनमें पूर्णिया में ब्लॉक स्तर पर अभी केवल 10.38%, दरभंगा में 14.35%, मधुबनी जिले में 18.62%, पश्चिमी चंपारण में 21.45%, कटिहार में 22.72% और मुंगेर में 24.04% ही किताबें ब्लॉक स्तर पर पहुंचायी जा सकी हैं. पटना जिले में भी अभी केवल 27 प्रतिशत के आसपास ही किताबें ब्लॉक पर पहुंच सकी हैं. हालांकि जो किताबें ब्लॉक के से स्कूलों में पहुंचायी गयी हैं, उनमें 85% से अधिक बांटी जा चुकी हैं.

किताबें लेट बंटने की वजह

किताबें लेट बंटने की वजह प्रिंटर्स का रवैया भी बताया जा रहा है. चूंकि अधिकतर प्रिंटर्स नये हैं. पूंजी का अभाव है. इसलिए उन लोगों ने सबसे पहले छोटे जिलों के स्कूलों में किताब बांटने का लक्ष्य बनाया है. ताकि वहां से पैसा लेकर अपनी आर्थिक कठिनाइयों को दूर करें. इसलिए बड़े जिलों में किताब बंटने की प्रगति कम है. शिक्षा विभाग ने इन सभी प्रिंटर्स को गुरुवार को हिदायत जारी कर कहा है कि वह तत्काल बड़े जिलों में किताब बांटने पर ध्यान केंद्रित करें.बता दें कि कुल 30 प्रिंटर्स किताबें प्रकाशित कर बंटवा रहे हैं.

विभाग का दावा

  • रोज दो से तीन फीसदी किताबें स्कूलों में बांटी जा रही हैं. इस तरह 15 मई तक किताबें बंट जाने की उम्मीद है.

  • कक्षा एक में किताबें कम बंट पा रही हैं, क्योंकि इनमें अभी एडमिशन ही हो रहे हैं. कक्षा एक और दो में इस बार नये सिलेबस के साथ किताबें भेजी गयी हैं.

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वह शीर्ष पांच जिले जहां अभी तक सबसे अधिक बांटी गयी पाठ्य पुस्तकें

  • जिला- लक्ष्य- ब्लॉक में -ब्लॉक से बांटी

  • शिवहर- 92420-81600-72658

  • भोजपुर-257018-223709-171718

  • अरवल-94719- 77594-62433

  • बक्सर- 184868- 147614-139585

  • बांका- 246755- 177747-114222

  • नोट : आंकड़ा 19 अप्रैल तक

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