बिहार में गन्ना पेराई सत्र 2022-23 में पिछले सत्र की तुलना में करीब 30% अधिक पेराई हुई है. चीनी का उत्पादन भी पिछले कुछ सालों की तुलना में अधिक होने की संभावना है. वर्ष 2022-23 के सत्र में 6.63 करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई हुई है. इससे पहले के सत्र में पेराई का यह आंकड़ा 4.73 करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक गन्ने की पेराई की बेहतर स्थिति को देखते हुए विभाग और गन्ना मिल प्रबंधन दोनों खुश हैं. यही वजह है कि गन्ना मिल प्रबंधन ने इस बार अभी तक करीब 94% से अधिक का भुगतान कर दिया है. राज्य के किसानों के लिए यह स्थिति कमोबेश अभूतपूर्व बतायी जाती है. प्रदेश के गन्ना किसानों को 2169 करोड़ का भुगतान किया जाना है. इसमें से दो हजार करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है.
इधर, राज्य सरकार चीनी मिल प्रबंधनों पर दबाव है कि वह अगले सत्र के लिए गन्ने के दाम में इजाफा करें. गन्ना मिल प्रबंधन ने इस मामले में सरकार से आग्रह किया है कि इस बार चूंकि चीनी के दाम कम है. अभी कमोबेश चीनी के दाम 3550 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये प्रति क्विंटल कम है. हालांकि इसमें अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हो सका है. गन्ना मिल प्रबंधनों ने तर्क दिया है कि देश में किसी अन्य राज्य में अभी तक गन्ना की दरें यथावत हैं, पंजाब में बढ़ी है, लेकिन वहां वह राशि सरकार दे रही है. इधर, गन्ना उद्योग विभाग गन्ने की बेहतर कीमत किसानों को दिलाने के लिए संकल्पित दिखाई दे रहा है.
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बिहार के प्रमुख ईख उत्पादक जिलों में पश्चिमी चंपारण सबसे आगे है. यहां राज्य का पचास फीसदी गन्ना पैदावार होती है. इसके अलावा पूर्वी पंचारण, गोपलागंज, और मुजफ्फरपुर में ईख की खास पैदावार होती है.
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वित्तीय वर्ष 2022-23 में मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम के लिए 28.78 करोड़ रुपये दिये गये. इसमें 12.75 करोड़ रुपये खर्च किये गये. हालांकि पेराई सत्र 2021-22 की तुलना में यह खर्च अधिक है. हालांकि इसमें काफी सुधार की जरूरत है. पेराई सत्र 2021-22 में 28.50 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, इसमें केवल 10.97 करोड़ व्यय हो सके थे.
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राज्य सरकार ईख का रकबा बढ़ाने के लिए विशेष कार्य योजना बना रही है.