बिहार के सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. अब सभी वर्ग के सरकारी कर्मियों में प्रोन्नति को लेकर नयी उम्मीद जग गयी है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद सरकार के स्तर पर इसका अध्ययन शुरू हो गया है. सामान्य प्रशासन विभाग में इससे जुड़े सभी पहलुओं पर समीक्षा की जा रही है.
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, फैसले का अध्ययन किया जा रहा है.मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की जा रही है. इसके बाद फैसले को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सभी कर्मचारी संगठनों ने रुकी हुई प्रोन्नति को फिर से शुरू करने की मांग कर दी है. बिहार प्रशसानिक सेवा संघ (बासा) के अध्यक्ष शशांक शेखर प्रियदर्शी का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी है.
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अब राज्य सरकार से कर्मचारी संघ यह मांग करता है कि इसके मद्देनजर प्रोन्नति की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दी जाये. कोर्ट ने पहले भी प्रोन्नति की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगायी थी. यह रोक राज्य सरकार ने अपने स्तर पर लगा रखी थी. अब करीब तीन साल से बाधित चली आ रही इस प्रक्रिया को फिर से शुरू कर देनी चाहिए.
बिहार सचिवालय सेवा संघ के अध्यक्ष बिनोद कुमार का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के आने के पहले भी सरकार यह काम कर सकती थी. इससे पहले भी कंडिशनल प्रोन्नति देकर सरकार प्रोन्नति को जारी रख सकती थी. परंतु बिना किसी ठोस कारण के इसे तीन साल तक बाधित रखा गया. अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, तो प्रोन्नति की लंबित प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए. क्योंकि हर महीने दर्जनों सरकारी कर्मी बिना प्रोन्नति पाये ही रिटायर हो जा रहे हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan