बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सख्त निर्देश का असर शनिवार को ही दिखने लगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बैठक कर सर्वे अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे भूमि सर्वे के मामलों की अधिकतम तीन सुनवाई कर अपना लिखित फैसला दे दें. फैसले से पीड़ित पक्ष अगले चरण में अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र होगा.
सर्वे में कानूनगो को रैयती जमीन और सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी को सरकारी जमीन के मामलों की सुनवाई कर फैसला देने का अधिकार है. इसके साथ ही सर्वे में लापरवाह कर्मियों की पहचान कर उन्हें तत्काल सेवामुक्त करने का बंदोबस्त पदाधिकारियों को निर्देश दिया है. अपर मुख्य सचिव शनिवार को शास्त्रीनगर स्थित सर्वे भवन में सर्वे से संबंधित विविध पक्षों की सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने तय समय में सर्वे पूरा करने की हिदायत दी.
अपर मुख्य सचिव को बताया गया कि प्रथम चरण के 89 अंचलों के करीब 3000 गांव में 2500 से कम खेसरा हैं. इनका प्रारूप प्रकाशन जून तक कर लिया जाना है. फिलहाल 421 गांव का अंतिम प्रकाशन हो चुका है और करीब 200 गांवों का अंतिम प्रकाशन बंदोबस्त पदाधिकारियों की कमी से नहीं हो सकी है. फिलहाल 20 जिलों में भूमि सर्वेक्षण हो रहा है. उनमें से आधे से अधिक जिलों में बंदोबस्त पदाधिकारी नहीं हैं. बैठक में अपर समाहर्ताओं को बंदोबस्त पदाधिकारी का प्रभार देने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई.
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बैठक में अपर मुख्य सचिव ने सभी आयुक्तों और समाहर्ता को सप्ताह में एक दिन और सभी भूमि सुधार उप समाहर्ता को सप्ताह में दो दिन शिविर का भ्रमण करने का निर्देश दिया. इस दौरान संबंधित अंचल अधिकारी और राजस्व पदाधिकारी की उपस्थित अनिवार्य होगी. इस बैठक में किस्तवार और खानापूरी का काम बेहतर तरीके से करने पर चर्चा हुई. जिले के एक नोडल अधिकारी ने कुछ जिलों के अमीनों द्वारा दाखिल खारिज और लगान रसीद मांगने की बात उठाई. इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सर्वे के लिए ये दस्तावेज आवश्यक नहीं हैं. उन्होंने विभाग के सचिव एवं मीडिया प्रभारी को अखबार, टीवी एवं अन्य जन संचार माध्यमों से भूमि सर्वेक्षण का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निदेश दिया.